Question 1 :
<b>निम्नलिखित प्रश्न के लिए सबसे उचित विकल्प चुनिए- </b> <br>सुनकर अर्थ ग्रहण करने की क्षमता ही _____ कहलाती है।
Question 2 :
<b>नीचे दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और उस पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए। </b> <br> <br> यह शाश्वत सत्य है कि भाषा, मनुष्य के भावों व विचारों के आदान-प्रदान का सशक्त साधन है। यह भी देखने में आया है कि संसार में जितने भी राष्ट्र हैं, प्राय: उनकी राजभाषा वही है जो वहां की संपर्क भाषा है तथा वही राष्ट्रभाषा है जो वहां की राजभाषा है। भारत विविधताओं से भरा देश है जहां अनेकता में एकता झलकती है, उदाहरण के तौर पर भारतीय उपमहाद्वीप के प्रत्येक राज्य में सुसंस्कारित एवं समृद्ध राज्य-भाषाएं एवं अनेक उपभाषाएँ बोली जाती हैं, अत: यह कहना समीचीन होगा कि भारत एक बहुभाषी राष्ट्र है। इस परिदृश्य में किसी एक भाषा को महत्व देना कठिन हो जाता है, लेकिन आजादी के बाद सभी भारतीय भाषाओं मे जो भाषा मनोरंजन, साहित्यिक एवं संपर्क भाषा के रुप में उभरी है वह हिंदी ही है। <br> आज हिन्दी को जिस रूप में हम देखते हैं उसकी बाहरी आकृति भले ही कुछ शताब्दियों पुरानी हो, किन्तु उसकी जड़ें संस्कृत, पाली, प्राकृत और अपभ्रंश रूपी गहरे धरातल में फैली हैं। व्याकरण की अत्यधिक <b>जटिलता</b> और नियमबद्धता के कारण इन अपभ्रंश भाषाओं से पुनः स्थानीय बोलचाल की भाषाओं का जन्म हुआ जिन्हें हम आज की आधुनिक भारतीय भाषाओं के रूप में जानते हैं। <br> हिन्दी भाषा के विकास की प्रक्रिया आधुनिक भारतीय भाषाओं के विकास के साथ ही प्रारंभ होती है। आजादी से पूर्व खड़ी बोली हिन्दी या हिन्दुस्तानी ही सामान्य बोलचाल की एकमात्र ऐसी भाषा थी जो किसी न किसी रूप में देश के ज्यादातर भागों में समझी और बोली जाती थी। अत: एक राष्ट्र और एक राष्ट्रभाषा की भावना यहां जागृत हो उठी और हिन्दी सबसे आगे निकलकर राष्ट्र भाषा, संपर्क भाषा और मानक भाषा बनती चली गई। इस अभियान में गांधी जी की भूमिका अहम रही जिन्होंने हिन्दी को राष्ट्रभाषा के रूप में राजनीतिक और सामाजिक मान्यता व संरक्षण प्रदान किया तथा इसका परिणाम यह रहा कि उत्तरी भारत में हिंदी साहित्य सम्मेलन और दक्षिण भारत में हिन्दी प्रचार सभा जैसी हिन्दी सेवा संस्थाओं का जन्म हुआ, जिसके माध्यम से हजारों अहिंदी भाषी भारतीयों ने स्वैछ्चिक तौर पर हिन्दी को सीखना और अपनाना शुरू किया। <br> राजनीतिशास्त्र के कई विद्वानों ने इस बात को दोहराया है कि जब कोई देश किसी दूसरे देश को पराजित कर अपना गुलाम बना लेता है, तो वह पराजित देश की सभ्यता, संस्कृति, भाषा आदि को नष्ट करने का भरसक प्रयास करता है, पराधीन देश पर आक्रांताओं द्वारा अपनी भाषा को राजकाज की भाषा के रुप में जबरदस्ती थोपा जाता है ताकि पराधीन देश की आने वाली पीढ़ी यह भूल जाए कि वे कौन थे, उनकी संस्कृति एवं राजभाषा क्या थी। हिन्दी को राजभाषा का स्थान केवल इसलिए नहीं दिया गया कि वह देश की एकमात्र संपर्क भाषा है, बल्कि अंग्रेजी शासन को जड़ों से उखाड़ने के लिए यह आवश्यक हो गया था कि क्रांतिकारियों के बीच में कोई एक भाषा हो जिसमें वह अपनी बात एक दूसरे को समझा सके। यह वह दौर था जब देश अंग्रेजो के शासन से त्रस्त था, लोग आज़ादी के लिए तरस रहे थे। अंग्रेजी विदेशी भाषा थी, जो विदेशी शासन का अनिवार्य अंग थी, अंग्रेजी शासन का विरोध करने के साथ-साथ अंग्रेजी का विरोध करना या उससे संबंधित वस्तुओं का विरोध भी आवश्यक हो गया था। <br> अतः स्वाधीनता संग्राम के वक्त राष्ट्रीय नेताओं ने स्वदेशीपन या राष्ट्रीय भावना को जागृत करने का प्रयत्न किया। देशवासियों के बीच एकता का संचार करने वाली भाषा के रुप में हिन्दी उभर कर सामने आई। देश को आजादी मिलने के बाद यह सामने आया कि देश में संचार की भाषा कोई हो सकती है तो वह हिन्दी ही है। संपर्क या व्यवहार की भाषा के रूप में हिन्दी की अनिवार्यता पर ज़ोर दिया जाने लगा। <br> <br>गद्यांश के अनुसार, आजादी के बाद सभी भारतीय भाषाओं में जो भाषा मनोरंजन, साहित्यिक एवं संपर्क भाषा के रुप में उभरी है, वह भाषा कौन सी है?
Question 4 :
<b>निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और प्रश्न का उत्तर देने के लिए उचित विकल्प का चयन कीजिए। </b> <br> <br> वाणी ही मनुष्य के व्यक्तित्व का सर्वश्रेष्ठ अलंकार है। वास्तव में वाणी के द्वारा ही मनुष्य अपने विचारों का आदान-प्रदान दूसरे व्यक्तियों से करता है। इसके अतिरिक्त मनुष्य के जीवन पर भी वाणी का अधिक प्रभाव पड़ता है; क्योंकि जो अपनी वाणी समुचित रूप में प्रयोग करते हैं, उन व्यक्तियों के लोगों से मधुर एवं आत्मीय सम्बन्ध बन जाते हैं। उनसे लोगों में कटुता की भावना व्याप्त हो जाती है। लोक-प्रसिद्ध कहावत है कि ‘‘बाताहिं हाथी पाइये, बातहिं हाथी पाँव’’। कवि ने कहा है- ‘‘कागा कासों लेत है, कोकिल काको देय। मीठी बोली बोल के जग अपनों करि लेय’’, मधुर वचन अमृत के तुल्य होता है जो मुरझाए जीवों में नए प्राण का संचार कर देता है। कटु वचन, चाहे सत्य से पूरित हो, कोई सुनना नहीं चाहता, इसीलिए सामाजिक, शिष्टाचार के नियामकों ने कहा है- ‘‘सत्यं ब्रूयात् प्रियं ब्रूयात् न ब्रूयात् सत्यमप्रियं।’’ <br> <br>क्यों कहा गया है कि ‘प्रिय सत्यं ब्रूयात्ं’, इसलिए कि- <br>
Question 5 :
<b>निम्नलिखित प्रश्न के लिए सबसे उचित विकल्प चुनिए-</b> <br>बालकों में भाषा विकास-
Question 6 :
<b>निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और प्रश्न का उत्तर देने के लिए उचित विकल्प का चयन कीजिए। </b> <br> <br> वाणी ही मनुष्य के व्यक्तित्व का सर्वश्रेष्ठ अलंकार है। वास्तव में वाणी के द्वारा ही मनुष्य अपने विचारों का आदान-प्रदान दूसरे व्यक्तियों से करता है। इसके अतिरिक्त मनुष्य के जीवन पर भी वाणी का अधिक प्रभाव पड़ता है; क्योंकि जो अपनी वाणी समुचित रूप में प्रयोग करते हैं, उन व्यक्तियों के लोगों से मधुर एवं आत्मीय सम्बन्ध बन जाते हैं। उनसे लोगों में कटुता की भावना व्याप्त हो जाती है। लोक-प्रसिद्ध कहावत है कि ‘‘बाताहिं हाथी पाइये, बातहिं हाथी पाँव’’। कवि ने कहा है- ‘‘कागा कासों लेत है, कोकिल काको देय। मीठी बोली बोल के जग अपनों करि लेय’’, मधुर वचन अमृत के तुल्य होता है जो मुरझाए जीवों में नए प्राण का संचार कर देता है। कटु वचन, चाहे सत्य से पूरित हो, कोई सुनना नहीं चाहता, इसीलिए सामाजिक, शिष्टाचार के नियामकों ने कहा है- ‘‘सत्यं ब्रूयात् प्रियं ब्रूयात् न ब्रूयात् सत्यमप्रियं।’’ <br> <br>कोयल और कौवे में मुख्य अन्तर- <br>
Question 8 :
<b>निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर इन प्रश्नों के उत्तर दीजिए-</b> <br> <br> बरसा रहा है रवि अनल, भूतल तवा सा जल रहा। <br> चल रहा सन-सन पवन, तन से पसीना ढल रहा। <br> देखो कृषक शोणित सुखाकर, हल तथापि चला रहे। <br> किस लोभ से इस आँच में, अपना शरीर जला रहे। <br> मध्याह्न उनकी गृहणियाँ, ले रोटियाँ पहुँची वही। <br> है रोटियाँ रुखी उसे है, साग की चिंता नहीं। <br> भर पेट भोजन पा गए, तो भाग्य मानों जग गए।। <br> <br>किसान पत्नियाँ रोटियाँ लेकर कहाँ पहुँचीं हैं?
Question 9 :
<b>निम्नलिखित प्रश्न के लिए सबसे उचित विकल्प चुनिए-</b> <br>भाषा स्वंय में-
Question 10 :
‘भाषा की कक्षा में बच्चे स्वाभाविक अभिव्यक्ति के लिए किसी भी प्रकार का रेखांकन कर सकते हैं।’ यह कथनः