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शिक्षा निदेशालय, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र, दिल्ली, विषय : हिंदी (मेरे संग की औरतें) कार्यपत्रक : 76 तिथि: 25/01/2022, कक्षा £ 9 विद्याधी का नाम ८२४८४४४४६२ २३४४४ कक्षाध्यापक का नाम ................-----, , , प्यारे बच्चो! इन कार्यपत्रकों के माध्यम से अब तक आप की पाठ्यपुस्तक क्षितिज भाग 1 के पाठों पर चर्चा की जा रही थी। आइए, आज के कार्यपत्रक मे कृतिका के पाठ 'मेरे संग की औरतें' पर चर्चा करते हैं जिसकी लेखिका 'मृदुला गर्ग' जी हैं।, , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , मैंने अपनी दादी को कई बार कहते सुना था, “हम हाथी पे हल ना जुतवाया करते, हम पे बैल हैं।" बचपन में ही मुझे इस जुमले, का भावार्थ समझ में आ गया था, जब देखा था कि, हम बच्चों की ममतालू परवरिश के मामले में माँ के सिवा घर के सभी, प्राणी मुस्तैद' रहते थे। दादी और उनकी जिठानियोँ ही नहीं, खुद-मर्दजात, पिता जी भी।, , पर ठोस काम न करने का यह मतलब नहीं था कि माँ को आज़ादी का जुनून कम था। वह भरपूर था और अपने तरीके से वे, उसे भरपूर निआाती रही थीं। ज़ाहिर है कि जब जुनून आजादी का हो तो, उसे निभाना भी आज़ादी से चाहिए। जिस-तिस से, 'पूछकर, उसके तरीके से नहीं, खुद अपने तरीके से।, , हमने अपनी माँ को कभी भारतीय माँ जैसा नहीं पाया। न उन्होंने कभी हमें लाड़ किया, न हमारे लिए खाना पकाया और न, अच्छी पत्नी-बहू होने की सीख दी। कुछ अपनी बीमारी के चलते भी, वे घरबार नहीं संभाल पाती थीं पर उसमें ज्यादा हाथ उनकी, अरुचि का था।उनका ज्यादा वक्त किताबें पढ़ने में बीतता था, बाकी वक्त साहित्य-चर्चा में या संगीत सुनने में और वे ये सब, बिस्तर पर लेटे-लेटे किया करती थीं।फिर भी, जैसा मैंने पहले कहा था, हमारे परंपरागत दादा-दादी या उनकी ससुराल के अन्य, सदस्य उन्हें न नाम धरते थे, न उनसे आम औरत की तरह होने की अपेक्षा रखते थे। उनमें सबकी इतनी श्रद्धा क्यों थी,जबकि, वह पत्नी, माँ और बहू के किसी प्रचारित कर्तव्य का पालन नहीं करती थीं? साहबी खानदान के रोब के अलावा मेरी समझ में दो, कारण आए हैं-(1)वे कभी झूठ नहीं बोलती थीं और (2) वे एक की गोपनीय बात को दूसरे पर ज़ाहिर नहीं होने देती थीं।, , पहले के कारण उन्हें घरवालों का आदर मिल्रा हुआ था; दूसरे के कारण बाहरवालों की दोस्ती। दोस्त वे हमारी भी थीं, माँ की, भूमिका हमारे पिता बखूबी निभा देते थे। मुझे याद है, बचपन में भी हमारे घर में किसी की चिट्ठी आने पर कोई उससे यह नहीं, पूछता था कि उसमें कया लिखा है। भले वह एक बहन की दूसरी के नाम क्यों न हो। और माँ यह जानने को बेहाल हों कि, बीमारी से वह उबरी या नहीं।छोटे से घर में छह बच्चों के साथ, सास-ससुर आदि के रहते हुए भी,हर व्यक्ति को अपना निजत्व, बनाए रखने की छूट थी।इसी निजत्व बनाए रखने की छूट का फ़ायदा उठाकर हम तौन बहनें और छोटा भाई लेखन के हवाले हो, गए।, , , , आशा है आपने इस गद्यांश को पढ़ व समझ समझ लिया होगा। आइए इसी गद्यांश पर आधारित कुछ प्रश्नों के उत्त खोजते और लिखते, हैं, 1. लेखिका की मां को किस प्रकार का शौंक नहीं था?, , (क) कार चलाने का (ख) संगीत सुनने का (ग) किताबें पढ़ने का (घ) साहित्य चर्चा का, 2. 'मुस्तैद' का कया अर्थ है?, (क) मोटा आदमी (ख) अपनी मनमर्जी (ग) तैयार या तत्पर (घ) इनमें से कोई नहीं, , 3. लेखिका की मां पर परिवार के सभी जनों की इतनी श्रद्धा क्यों थी?, 4. लेखिका को लेखिका बनने का अवसर कैसे मिला?, 5. “हम हाथी पे हल ना जुतवाया करते, हम पे बैल हैं" वाक्य से आप क्या समझते हैं?, , , , , गतिविधि:- अपने परिवार के अलग-अलग सदस्यों की रुचि या शौक को देखें, समझें और उस, पर एक अनुच्छेद लिखें।, , कोविड के सन्दर्भ में उचित व्यवहार संबंधी (088) संदेश :, , , , , , , , , , , , , , , , नियमित रूप से अपने हाथों को और पानी से धोएँ । लि रद