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मैं गरमी की छुट्टियाँ बिताने अपने चाचा जी के यहाँ ध् गया, हुआ था । चाचा जी का फार्म हाऊस जयपुर के नज़दीक है ।, छुट्टियाँ समाप्त होने को थीं । कई दिनों तक तेज़ वर्षा होती रही ।, तभी एक शाम सूचना मिली कि कोई बाँध टूट गया है,, उसका पानी तेज़ी से जयपुर की ओर बढ़ा आ रहा है । फार्म से, लगभग दो किलोमीटर दूर के खेतों को अपनी चपेट में लिए पानी, तेज्ञ गति से बह रहा था ।, ऐसा लगता था कि बाढ़ का पानी सब कुछ निगल जाना, चाहता है । जल के तेज़ प्रवाह से बड़े-बड़े पेड़ उखड़ गए थे ।, घास-फूस की झोपड़ियाँ तथा कच्चे मकान बह गए थे । दूर-दूर, तक फसलों का कहीं नामो निशान न था । सब ओर पानी ही, पानी दिखाई दे रहा था । पेड़ों की शाखाएँ, कपड़े, घरों का, सामान पानी में बह रहा था ।, गरीब किसान हाहाकार कर रहे थे । देखते ही देखते असंख्य, लोग बेघरबार हो गए । सेना के नौजवान बाढ़ पीड़ित गाँवों में, शीघ्र ही पहुँच गए । नावों में बैठाकर लोगों को निकाला गया ।, सरकार की तरफ़ से खाने के पैकेट बाँटे गए ।, रात्रि के सन्नाटे में तरह-तरह की चीख-पुकार सुनाई दे रही, थी । बाढ़ के पानी ने सड़कों तथा रेल की पटरियों तक को तोड़, डाला था । बिजली का कहीं नामो निशान नहीं था । नलों में पानी, की एक बूँद भी नहीं थी । दूर-दूर तक पानी दिखाई दे रहा था,, पर पीने के पानी का संकट था ।, , नजर, , व 8 5287