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पाठ-40 अपूर्व अनुभव, , 4. यासुकी-चान को अपने पेड़ पर चढ़ाने के लिए तोत्तो-चान ने अथक प्रयास क्यों किया? लिखिए।, , उत्तर:- यासुकी-चान को पोलियो था, इसलिए वह न तो किसी पेड़ पर चढ़ पाता था और न किसी पेड़ को निजी संपत्ति मानता था,, जबकि जापान के शहर तोमोए में हर एक बच्चे का एक निजी पेड़ था और पेड़ पर चढ़ना उन सभी का प्रिय शौक था। तोत्तो-चान, जानती थी कि यासुकी-चान भी अन्य बच्चों की तरह पेड़ पर चढ़ना चाहता था, अत: उसकी इसी इच्छा को पूरा करने के लिए, तोत्तो-चान ने यासुकी-चान को पेड़ पर चढ़ाने के लिए अथक प्रयास किया।, , 2. दृढ़ निश्वय और अथक परिश्रम से सफलता पाने के बाद तोत्तो-चान और यासुकी-चान को अपूर्व अनुभव मिला, इन दोनों के, अपूर्व अनुभव कुछ अलग-अलग थे। दोनों में क्या अंतर रहे? लिखिए।, , उत्तर:- तोत्तो-चान का अनुभव - तोत्तो-चान स्वयं तो रोज ही अपने निजी पेड़ पर चढ़ती थी और खुश होती थी परंतु आज पोलियो, से ग्रस्त अपने मित्र यासुकी-चान को पेड़ की द्विशाखा तक पहुँचाने से उसे प्रसन्नता के साथ-साथ अपूर्व आत्म संतुष्टि भी प्राप्त हुई।, यासुकी-चान का अनुभव - यासुकी-चान को पेड़ पर चढ़ कर अत्यधिक प्रसन्नता हुई, उसके मन की ऐसी इच्छा पूरी हुई जो उसके, लिए असम्भव थी। उसने पेड़ पर चढ़कर पहली बार दुनिया को निहारा।, , 3. पाठ में खोजकर देखिए , कब सूरज का ताप यासुकी-चान और तोत्तो-चान पर पड़ रहा था, वे दोनों पसीने से तरबतर हो रहे थे और कब बादल का एक टुकड़ा, उन्हें छाया देकर कड़कती धूप से बचाने लगा था। आपके अनुसार इस प्रकार परिस्थिति के बदलने का कारण क्या हो सकता है?, उत्तर:- सूरज का ताप उन पर तब पड़ रहा था। जब तोत्तो-चान और यासुकी-चान एक तिपाई-सीढ़ी के द्वारा पेड़ की द्विशाखा तक, पहुँचने का प्रयास कर रहे थे।, , बादल का टुकड़ा बीच-बीच में छाया करके उससमय उन्हें कड़कती धूप से बचा रहा था, जब तोत्तो-चान अपनी पूरी ताकत से, यासुकी-चान को पेड़ पर ऊपर की ओर खींच रही थी।, , इस प्रकार परिस्थिति बदलने का कारण मेरे अनुसार दोनों मित्रों के प्रति प्रकृति की सहदयता और कोमलता थी। प्रकृति भी चाहती, थी कि दोनों बच्चे अपने-अपने प्रयास में सफल हो।, , , , 4. 'यासुकी-चान के लिए पेड़ पर चढ़ने का यह ..... अंतिम मौका था' - इस अधूरे वाक्य को पूरा कीजिये और लिखकर बताइए कि, लेखिका ने ऐसा क्यों लिखा होगा।, , उत्तर:- लेखिका ने ऐसा इसलिए लिखा होगा क्योंकि एक तो, , यासुकी-चान पोलियो से पीड़ित था और वह स्वयं पेड़ पर चढ़ने में असमर्थ था। दूसरा तोत्तो-चान बहुत जोखिम उठा कर अपने, माता-पिता को बिना बताए उसे पेड़ पर चढ़ा पाई थी परन्तु शायद वह दोबारा ऐसा कभी ना कर पाएँ।