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Biology
2. पुष्पी पादपों में लैंगिक जनन (SEXUAL REPRODUCTION IN FLOWERING PLANTS) 1. पुंकेसर तथा स्त्रीकेसर को नामांकित चित्र द्वारा परिभाषित करें । उत्तर पुंकेसर (Stamen) – पुमंग फूल की नर जनन-भ्रम (male reproduction whorl) होता है और पुंकेसरों (stamens) से मिलकर बनता है। प्रत्येक पुंकेसर तीन भागों से मिलकर बना होता है— पुंतंतु (filament), योजी (connective) तथा परागकोष (anther) । पुंतंतु एक पतला-सा डंठल होता है जिसके अंतिम सिरे पर एक संरचना होती है जिसे परागकोष कहते हैं। तंतु का दूसरा छोर पुष्प के पुष्पासन या पुष्पदल से जुड़ा होता है। पुंकेसरों की संख्या तथा उनकी लंबाई अलग-अलग प्रजातियों के पुष्पों में भिन्न होती है स्त्रीकेसर (Pistil ) — जायांग पुष्प का मादा जननांग होता है। इससे नीचे का फूला हुआ भाग अंडाशय (ovary) कहलाता है। इससे जुड़ी हुई एक पतली नलिकाकार रचना होती है जिसे वर्तिका (style) कहते हैं। वर्तिका के ऊपर घुंडी जैसी एक रचना होती है जिसे वर्तिकाग्र (stigma) कहा जाता है। बहुत-से अंडप (carpel) मिलकर जायांग (gynoecium) बनाते हैं । Q कूट फल के बारे में उदाहरण सहित लिखें। उत्तर- वह फल जिसका विकास अण्डाशय से न होकर पुष्प भागों से होता है, कूट फल कहलाता है। जैसे नाशपाती, सेव आदि। Q. वैगिंग (बोरा वस्त्रावरण) या थैली लगाना तकनीक क्या है? पादप जनन कार्यक्रम में यह कैसे उपयोगी है ? उत्तर—बैगिंग (बोरा वस्त्रावरण) या थैली लगाना एक कृत्रिम संकरीकरण विधि है। फसल की उन्नति या प्रगतिशीलता कार्यक्रम के लिए एक प्रमुख उपागम है। विषुसित पुष्पों को उपयुक्त आकार की थैली से आवृत्त किया जाना चाहिए जो सामान्यतः बटर पेपर (पतले कागज) की बनी होती है। ताकि इसके वर्तिकाम को अवांछित परागों से बचाया जा सके। इस प्रक्रम को बैगिंग (या बोरा वस्त्रावरण) कहते हैं। जब बैगिंग पुष्प का वर्तिकाग्र सुग्राह्यता को प्राप्त करता है तब नर अभिभावक से संग्रहीत परागकोश के पराग को उस पर छिटका जाता है और उस पुष्प को पुनः आवरित करके, उसमें फल विकसित होने के लिए छोड़ दिया जाता है। Q. विपुसन से क्या तात्पर्य है ? एक पादप प्रजनक कब और क्यों इस तकनीक का प्रयोग करता है ? उत्तर – यदि कोई मादा जनक द्विलिंगी पुष्प धारण करता है तो पराग प्रस्फुटन से पहले पुष्प कलिका से परागकोश के निष्कासन हेतु एक जोड़ा के चिमटी का प्रयोग आवश्यक होता है। इस चरण को विंपुसन कहा जाता है। विषुसित पुष्पों को उपयुक्त आकार की थैली से आवृत्त किया जाना चाहिए जो सामान्यतः बटर पेपर की बनी होती है। ताकि इसके वर्तिकाम को अवांछित परागों से बचाया जा सके। इस प्रक्रम को बैगिंग कहते हैं। यह तकनीक बढ़िया किस्म के पादप प्राप्त करने के लिए व्यापक रूप से व्यापारिक पादप पुष्प उत्पादन करने वाले लोगों द्वारा अपनाई जा रही है। Q. निम्नलिखित की परिभाषा लिखिए:(1) स्वपरागया, (ii) परपरागण | उत्तर- (1) स्वपरागण – यदि एक फूल के परागकोश से निकले परागकण उसी फूल के वर्तिकाम पर पहुँच जाए, तब इसे स्वपरागण कहते हैं। (ii) परपरागण -जब किसी पौधे के परागकोश से निकले परागकण उसी स्पीशीज के अन्य पौधे के वर्तिकाम पर पहुँचते हैं, तब इसे परपरागण कहते हैं। Q. एक सेव को आभासी फल क्यों कहते हैं? पुष्प का कौन-सा आग फल की रचना करता है ? अथवा, आभासी फल या असत्य फल को परिभाषित करें। उत्तर—कुछ प्रजातियों में जैसे सेब, स्ट्राबेरी (रसभरी), अखरोट आदि में फल की रचना में पुष्पासन भी महत्वपूर्ण भागीदारी निभाता है। इस प्रकार के फलों को आभासी फल कहते हैं। अधिकतर फल केवल अण्डाशय से विकसित होते है और उन्हें यथार्थ या वास्तविक फल कहते हैं। Q. द्विनिषेचन (Double fertilization) से आप क्या समझते हैं ? उत्तर—प्रत्येक परागकण में दो पुंयुग्मक होते हैं। ये बीजांड-द्वार से भ्रूणकोश तक पहुँचते हैं। पुंयुग्मकों में से एक अण्ड के साथ संलयित होकर युग्मज का निर्माण करता है। इसे युग्मक-संलयन (syngamy) कहते हैं। दूसरा पुंयुग्मक द्वितीय द्विगुणित केन्द्रक से संलयित होकर त्रिगुणित प्राथमिक भ्रूणपोष केन्द्रक बनाता है जिसे त्रिसंलयन कहते हैं। इस प्रकार एक भ्रूणकोश में दो लैंगिक संलयन संपन्न होते हैं। इस घटना को द्विनिषेचन कहते हैं। Q. कीट परागण वाले पौधों की विशेषताएँ लिखें। उत्तर-कीट परागित पौधों की निम्न विशेषताएँ होती हैं— (i) पुष्प बड़े, रंगयुक्त तथा आकर्षक होते हैं। (ii) पुष्प की पंखुड़ियाँ बड़ी होती हैं। छोटी होने की स्थिति में पुष्प के अन्य भाग बड़े तथा आकर्षक हो जाते हैं। पोइनसेटिया की पत्तियाँ फूल वाले भाग में अंशतः या पूर्णतः रंगीन होते है। (iii) छोटे फूल एक-साथ गुच्छे में खिलते हैं या संयुक्त होकर एक सिर बनाते हैं। उदाहरण- सूर्यमुखी । (iv) इनके खिलने का एक खास वक्त होता है तभी परागणकर्त्ता भी उपस्थित रहता है। (v) इनसे मकरंद स्रावित होता है जो कीटों को पोषण देता है । (vi) परागकणों की बाह्य सतह काँटेदार, चिपकने वाली होती है जो परागकीट कहलाती है तथा कीटों में आसानी से चिपक जाती है । (vii) बहुत सारे फूलों के परागकण खाने योग्य होते हैं जिन्हें कीट खाते हैं। जैसे गुलाब, मैग्नोलिया । Q. त्रिसंलयन क्या है ? इस प्रक्रिया का अंतिम उत्पाद क्या होता है ? यह किस रूप में परिवर्धित होता है ? उत्तर - तीन केन्द्रकों का मिलना त्रिसंलयन है जो आवृत्तबीजों पौधों के पुष्पों में होते हैं। स्त्रीकेसर 8-केन्द्रक युक्त होते हैं। जिसमें भ्रूणपोष के बीच में दो ध्रुवीय केन्द्रक संयुक्त होकर द्विगुणित (2n) केन्द्रक बनाते हैं। दो पुंयुग्मकों में से एक अण्ड के साथ तथा दूसरा इस द्विगुणित केन्द्रक से संलयन कर (3n) त्रिकेन्द्रक युक्त रचना का निर्माण करता है । इसे ही त्रिसंलयन कहते हैं । त्रिसंलयन की प्रक्रिया के उपरांत त्रिगुणित प्राथमिक भ्रूणपोष केन्द्रक का निर्माण होता है । प्राथमिक भ्रूणपोष कोशिका (3n) बारंबार सूत्री विभाजन कर भ्रूणपोष का निर्माण करती है। भ्रूणपोष विकसित होते ही भ्रूण तथा अंकुरण के दौरान नवोद्भिद् के निर्माण तक पोषण प्रदान करती है। चित्र: परिपक्व बीजांड की आंतरिक संरचना Q.मोनोकार्पिक फलों को लिखें। उत्तर—वह सत्य फल जिसका विकास एक कार्पेल से होता है, मोनोकार्पिक फल कहलाता है । Q. टेपीटम से आप क्या समझते हैं? उत्तर-पुष्पीय पौधों के लघुवीजाणुधानी के आंतरिक परत के रूप में टैपीटम पाया जाता है। इसकी कोशिकाएँ सघन जीवद्रव्य से भरी होती है साथ ही साथ ये द्विगुणीत होती है। इनका कार्य विकासशील परागकणों को पोषक देना है। Q.. पुष्पीय पौधों में फल का विकास कैसे होता है ? अथवा, फल किसे कहते हैं ? उत्तर - पुष्प में बीजाण्ड निषेचन के पश्चात् वह बीज (भ्रूण) में परिवर्तित होता है तथा अण्डाशय की भित्ति इन्हें चारों ओर से घेर लेती है, जिसे फल कहते हैं। Q. पूर्वता से आप क्या समझते हैं? इसके लाभ बताइए। उत्तर-पूर्वता द्विलिंगी पुष्पों में पर परागण के लिए एक स्थिति है जिसमें नर जनन भाग (एंथर) मादा भाग (स्टिग्मा) से बहुत पहले परिपक्व होकर परागकणों को मुक्त कर पर परागण को उत्साहित करता है। लाभ-द्विलिंगी पुष्पों में स्वनिषेचन को रोककर विभिन्नता उत्पन्न करता है। Q. वायु परागण क्या है ? वायु परागित पुष्पों के गुणों का सोदाहरण वर्णन करें। उत्तर- वायु परागण इस प्रकार के परागण में हवा के झोके के साथ परागकण एक पुष्प से दूसरे पुष्प तक पहुँचते हैं। वायु-परागित पुष्पों में आकर्षण, मकरग्रंथियों और सुगंध का अभाव होता है। इस कमी को पूरा करने के लिए फूलों में असंख्य परागकण बनते हैं। विशेषताएँ: (i) ये पुष्प भड़कीले नहीं होते हैं। (i) मकरग्रन्थियों और सुगंध का अभाव होता है। (iii) ये प्रायः छोटे होते हैं। (iv) परागकणों की संख्या अनगिनत होती है। (v) वर्तिकाग्र रोएँदार, पक्षवत और शाखित होता है। (vi) वायु परागित पौधों में मक्का, चावल, गेहूँ, घास, गन्ना, ताड़ आदि प्रमुख है। Q. एकल संकरण एवं द्विसंकरण में अंतर स्पष्ट करें। उत्तर- एक संकर क्रॉस-जब दो पौधों के बीच एक इकाई लक्षण के आधार पर संकरण कराया जाता है तो इसे एक संकर क्रॉस कहते है । द्विसंकर क्रॉस — जब दो विपरीत पौधों के बीच अलग लक्षण के आधार पर संकरण कराया जाता है तो इसे द्विसंकर क्रॉस कहते हैं। Q.वायुपरागित पुष्पों के अनुकूलन बताइए। उत्तर- कुछ फूलों में परागण की क्रिया वायु द्वारा होती है जिसे वायु परागण कहते हैं। ऐसे पुष्प जिनमें वायु द्वारा परागण होती है वायु परागित पुष्प कहते हैं। वायुपरागित पुष्पों के अनुकूलनः (i) ये पुष्प चटकीले तथा भड़कीले नहीं होते हैं। (ii) इसमें मकर ग्रंथियों और सुगंध का अभाव होता है (iii) ये पुष्प छोटे, रंगहीन, गंधहीन और आकर्षणहीन होते हैं। (iv) ये पुष्प हल्के तथा प्रायः चिकने होते हैं। Q. प्लाज्मिड क्या है ? प्लाज्मिड की संरचना तथा उपयोगिता संक्षेप में लिखें। उत्तर- यह जीवाणु कोशिका में उपस्थित बाह्य नाभिकीय छोटा एवं वर्तुलाकार डी.एन.ए. है जो कुछ एक्स्ट्रा क्रोमोजोमल जीन को धारण किए रहता है तथा स्वद्विगुणन क्षमताधारी होता है। जैसे—PBR-322, PUC-10 आदि। इनकी लम्बाई लगभग 2700 Pb होती है। इसमें द्विगुणन व उपस्थित स्थलन, सेलेव-टेबल मार्कर, क्लोनिंग केन्द्र नामक भाग होता हैं । Q. जन्तुओं द्वारा परागित किन्हीं चार पौधों के नाम जन्तुओं सहित बताएँ । उत्तर - जन्तुओं द्वारा परागित पौधें इस प्रकार से हैं. (i) प्राइमुला—इस पौधे में परागण मधुमक्खी के द्वारा होता है (ii) यक्का या अण्डफिल—इस पौधे में परागण प्रेनुबा नामक जीव के द्वारा होता है। (iii) मरमीको फिली—इस पौधे में परागण चीटियों के द्वारा होता है। (iv) मैलको फिलस— इस पौधे में परागण घोंघा के द्वारा होता है। Q. निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखें (i) वास्तविक या सत्य फल (ii) अनिषेचन जनित फल (iii) बहुभ्रूणता उत्तर :(i) जिस फल के निर्माण में उस फल के फूल के अण्डाशय ही भाग लेता है उस फल को वास्तविक या सत्य फल कहते हैं। जैसे - आम, अंगूर (ii) कुछ पौधों में निषेचन के बिना ही फल का निर्माण हो जाता है। ऐसे फल को अनिषेचन जनित फल कहते हैं। जैसे—केला, संतरा (iii) जब एक बीज के अन्दर एक से अधिक भ्रूण हो तो इस अवस्था को बहु भ्रूणता कहते हैं । जैसे— नींबू । Q.जलपरागण के बारे में उदाहरण सहित बतायें l उत्तर - जल द्वारा होने वाला परागण को जल परागण कहते है । हाइड्रिला तथा वेलिसनेरिया में जल परागण होता है । वेलिसनेरिया में नए पौधे तथा मादा पौधे अलग-अलग होते हैं, अर्थात् एकलिंगाश्रयी होते हैं। जब नर पुष्प परिपक्व हो जाते है तब वे पोधे से विच्छेदित होकर पानी पर तैरने लगते है। स्त्री पौधो में वृंत लंबाई में वृद्धि करके पुष्प को जल की सतह पर लाता है। नर पुष्प जैसे ही मादा के संपर्क में आता है, परागकोषों से परागकण निकलकर वर्तिकाग्र से चिपक जाते हैं और इस प्रकार पर-परागण हो जाता है। परागण के पश्चात् मादा पुष्पों के वृंत कुंडलित होकर फिर पानी में चले जाते हैं जहाँ बीज और फूलों का निर्माण होता है । Q. परागकण क्या है ? कायिक तथा जनन कोशिका में विभेद करें। (What is pollen grain ? Distinguish b/w vegetative and generative cell of pollen grain.) उत्तर - परागकण नर युग्मकोद्भिद को निरूपित करता है। यह बाहर से कठोर भित्ति से घिरा रहता है जिसे बाह्यचोल कहते हैं तथा आंतरिक भित्ति को अंतः चोल कहते हैं। परिपक्व परागकण में दो कोशिकाएँ होती हैं (i) कायिक कोशिका यह आकार में बड़ी तथा प्रचुर खाद्य भंडार युक्त होती है। (ii) जनन कोशिका यह आकार में छोटा तथा र्तुलाकार होती है। Q.परागण क्या है ? कुछ परागणी कारक के उदाहरण दें। (What is pollination? Give some examples of pollinating agents.) उत्तर - परागण एक प्रक्रम है जिसमें परागकणों का स्थानान्तरण या संचारण स्त्रीकेसर के वर्त्तिकाग्र तक होता है। यह विभिन्न परागणी कारक द्वारा होता है, जो 2 प्रकार के होते हैं - (a) अजैविक कारक : जैसे- वायु तथा जल (b) जैविक कारक: जैसे-मधुमक्खी, चमगादड़, पक्षी आदि । Q. Pollen Pistil interaction की क्रिया-विधि का वर्णन करें। (Give an account of pollen-pistil interaction.) उत्तर - परागण द्वारा यह सुनिश्चित नहीं हो पाता है कि सही प्रकार के परागकण का स्थानांतरण हो रहा है या नहीं । यदा-कदा गलत तरह का परागकण या तो दूसरी प्रजाति का या उसी पौधे का वर्त्तिकाग्र पर गिरते हैं । Pistil में परागकण को पहचानने की क्षमता होती है कि वह सही प्रकार का है या नहीं | Pistil परागकण को स्वीकार कर पश्च परागण की घटना को बढ़ावा देता है जो निषेचन कराता है। यदि गलत प्रकार का परागकण होता है, तो Pistil द्वारा परागकण को अस्वीकार कर दिया जाता है | Pistil का ब वह गुण जिससे वह खास प्रकार के परागकण को ग्रहण कर सके या अस्वीकार कर दे, यह परागकण एवं Pistil के बीच की सतह क्रियाविधि पर निर्भर करता है। यह परागकण में मौजूद रासायनिक घटकों द्वारा सम्पन्न होता है। Q. मोनोकार्पिक फल/पौधे को उदाहरण सहित परिभाषित करें। (Define Monocarpic fruits / plants with example.) उत्तर-ऐसे पौधे पूरे जीवन काल में सिर्फ एक बार ही पुष्पादन करता है तथा इसके बाद इनकी मौत हो जाती है। अतः ऐसे पौधे मोनोकार्पिक पौधे कहलाते हैं तथा इस फल को मोनोकार्पिक फल कहते हैं। सभी Annual (जैसे-गेहूँ, धान) पौधे तथा द्विवार्षिक पौधे (जैसे-मूली, गाजर) मोनोकार्पिक होते हैं तथा कुछ बहुवर्षीय पौधे भी मोनोकार्पिक होते हैं (जैसे-बाँस)। Q. जल परागण का वर्णन करें। इसके विभिन्न प्रकार को लिखें (Define Hydrophily. Write various types.) उत्तर- इसमें परागकण का स्थानांतरण किसी परिपक्व परागकोश से दूसरे पुष्प के वर्तिकाग्र पर जल द्वारा होता है। यह करीब 30 प्रजातियों के पौधों में होता है, विशेषकर एकबीजपत्री पौधों में, जैसे- बैलिसनेरिया, जोस्टेरा आदि । जल परागण दो प्रकार का होता है (a) Hypohydrophily - यह जल की सतह के नीचे होता है, जैसे जोस्टेरा । Q. कृत्रिम संकरण पर नोट लिखें। (b) Epihydrophily - जल की सतह पर होता है, जैसे—वैलिसनेरिया । (Write a note on Artificial Hybridisation.) उत्तर - कृत्रिम संकरण (Artificial hybridisation) फसल संवर्धन योजना का एक प्रमुख तकनीक है। इस तकनीक द्वारा यह सुनिश्चित किया जाता है कि वांछित परागकण का उपयोग परागण के लिए किया जाय। साथ ही वर्तिकास को अवांछित परागकण के संक्रमण से बचाया जा सके। ऐसा विपुंसन तथा बैगिंग तकनीक से प्राप्त किया जा सकता है। यदि कोई मादा parents द्विलिंगी पुष्पवाला हो, तो पुष्प से परागकोष को अलग किया जाता है स्फुटीकरण से पहले। ऐसा एक जोड़ा चिमटा के प्रयोग द्वारा किया जाता है। इस अवस्था को ही विपुंसन कहते हैं। विपुंसित पुष्प को एक खास आकार के थैला द्वारा ढँक दिया जाता है। ये थैला प्रायः बटर पेपर का बना होता है। इस क्रिया को बैगिंग कहते हैं। जब थैलावृत्त पुष्प का वर्तिकाग्र ग्रहण को प्राप्त करता है, तो परिपक्व परागकण का संग्रह जो Male parent से किया गया हो, वर्तिकाग्र पर dusted किया जाता है तथा पुष्प को पुनः बैगिंग कर विकसित होने के लिए छोड़ दिया जाता है। 14. एकलिंगता से क्या समझते हैं ? (What do you understand by Dicliny ?) उत्तर- एकलिंगी पुष्पों में पर-परागण ही होता है, अर्थात् एकलिंगाश्रयी (dioecious) पौधों में परागण का यही एक साधन है। उभयलिंगाश्रयी (monoecious) पौधों में पर-परागण असफल होने पर स्व-परागण होता है। पुष्प की इस अवस्था को गेटोनोगेमी (geitonogamy) तथा ऐसे पुष्पों को गेइटोनोगेमस (geitonogamous) पुष्प कहते हैं। Q. स्वयंबंध्यता से क्या समझते हैं (What do you understand by self-sterility ?) उत्तर- जब एक पुष्प के जायांग (gynoecium) का वर्त्तिकाग्र उसी पुष्प के परागकणों से परागित नहीं होता है तब इस अवस्था को स्वयंबंध्यता कहते हैं। आलू, मटर इत्यादि पौधे इसके प्रमुख उदाहरण हैं। Q. अंड समुच्चय क्या है? (What is Egg apparatus ? ) उत्तर- यह बीजांड द्वार (Micropyle) की ओर स्थित तीन कोशिकाओं का समूह है। इसमें बीच में अंड कोशिका (egg) होती है तथा उसके दोनों ओर एक-एक सहायक कोशिका (Synergid) पायी जाती है। अंड कोशिका में नीचे की ओर केन्द्रक होता है और ऊपर की ओर रिक्तियाँ होती हैं। सहाय कोशिका (Synergid) में अँगुलियों की तरह की रचनाएँ होती हैं, जिसे तंतुरूप समुच्चय (Fitiform apparatus) कहते हैं। सहायक कोशिका में केन्द्रक ऊपर की ओर तथा रिक्तिका नीचे की ओर होती है। एक भ्रूणकोष में केवल एक अंड होता है। Q. Autogamy पर संक्षिप्त नोट लिखें। (Write a short note on a autogamy.) उत्तर- यह एक प्रकार का स्व-परागण है जिसमें एक पूर्ण अथवा intersexual पुष्प का अपने ही परागकण द्वारा परागण होता है। यह तभी संभव है जब परागकोश एवं वर्त्तिकाग्र एक दूसरे के समीप हो तथा परागकण का निकलना एवं वर्तिकाग्र द्वारा ग्रहण करना एक साथ हो सके। यह तीन विधि से होता है - Homogamy Cleistogamy एवं कली - परागण । Q. लघु बीजाणुजनन से आप क्या समझते हैं ? (What do you understand by Microsporogenesis?) उत्तर- पराग मातृकोशिका से अर्धसूत्री विभाजन द्वारा लघु-बीजाणु के निर्माण की प्रक्रिया को लघुबीजाणुजनन कहते हैं। जैसे-जैसे परागकोश विकसित होता है, बीजाणुजन ऊतकों की कोशिकाएँ अर्द्धसूत्री विभाजन करती हैं। वस्तुतः बीजाणुजनन कोशिकाएँ जब लघुबीजाणु मातृकोशिकाओं का कार्य करती है, तब उनमें अर्द्धसूत्री विभाजन होता है, जिसके फलस्वरूप चार अगुणित बीजाणु (Spores) बनते हैं। इसे ही लघुबीजाणु (Microspores) कहते हैं। ये चारों बीजाणु चतुष्कों में विन्यसित होते हैं। पेपर Class XII 2023 xual परागकोशात होती है, अतः प्रत्येक माओ अर्धसूत्रीविभाजन होता है, फलस्वरूप चारो लघुबीजाणु और परागकण निर्माण होता है, जो स्फुटन के साथ मुक्त होता है। (Outbreeding) की तकनीक का वर्णन करें। (Give मे Q. बहिपंजनन an account of outbreeding devices.) उत्तर- अधिकतर पुष्पी पौधों द्वारा उभयलिंगी पुष्प का उत्पादन होता है परागकण लगभग उसी पुष्प के वर्तिका के स्पर्श में होता है। सतत् स्व परागण के परिणामस्वरूप अंतः प्रजननी अवसाद होता है। पुष्णीय पौधों में स्वपरागण को रोकने के लिए कई तकनीक है तथा पर परागण को देता है। कुछ प्रजातियों में, परागकण का बाहर आना तथा वर्तिका की ही (Recaptivity) साथ-साथ नहीं हो पाता है। या तो पहले परागकण विमुक्त होता है या पहले ही होता है अथवा वर्तिका पराग के निकलने के बहुत पहले ही सही हो जाता है। दो प्रकार का तकनीक स्व को रोकने का काम करता है। स्वपरागण को रोकने का एक दूसरा तकनीक है। एकलिंगी पुष्प का उत्पादन। यदि किसी पौधे पर नर तथा मादा पुष्प मौजूद हो तो यह स्वगामी को रोकता है पर गीटोनोगैमी को नहीं। जैसे—रेंडी एवं मक्का । Q.गीटोनोमी पर टिप्पणी लिखे। (White a note on Geitonogamy.) उत्तर- यह एक प्रकार का परपरागण है जिसमें एक पुष्प का परागकण दूसरे पुष्प के वर्तिका पर स्थानांतरित होता है चाहे वह उसी पौधे के पुष्प हो या आनुवंशिक रूप से पीछे हो गीटोनोमी में पुष्प प्रायः रूपांतरण को प्रदर्शित करता है, जेनोगेमी या परपरागण की तरह ही । को Q आरेनोटोकी (Arrhenotoky) क्या है ? (What is Arrhenotoky ?) उत्तर- इस प्रकार के अनिषेकजनन में अंडों द्वारा सिर्फ नर संतति ही उत्पन्न होते हैं, जैसे-रॉटीफर्स, मधुमक्खी, टिड्डा आदि । Q. हरकोगेमी पर नोट लिखें।(Write a note on Herkogamy.) उत्तर - हकगेमी एक प्रकार का यांत्रिक तरीका है स्वपरागण को रोकने का तथा परपरागण को बढ़ावा देने का । केल्मिया में परागकोश कोरोला पॉकेट के अंदर होता है जबकि साइप्रीपेडियम में वर्तिकास कीट के प्रवेश मार्ग के पास तथा परागकण बहिर्भाग के पास होता है। कैलोट्रोपिस तथा ऑर्किड्स में परागकण परागपिंड में रहता है जो कीटों द्वारा भरा जाता है। Q.वायुपरागण (एनीमोफिलि) का वर्णन करें। (Define Anemophilly.) उत्तर- यह एक तरह का परपरागण है जिसमें एक परिपक्व परागकोश से परागकण की स्थानांतरण किसी Pistil के वर्तिका पर वायु के द्वारा हो, वायु परागण कहलाता है। जैसे-मक्का, नारियल, खजूर इत्यादि । Q. परी परागण पर टिप्पणी लिखें। (Write a note on Ornithophily.) ना उत्तर- यह एक प्रकार का एलोगेमी है जो पक्षी द्वारा संपन्न होता है। इसके लिए खास प्रकार की पक्षी होती है ये आकार में छोटा परंतु लंबी चोंच वाल 1 पक्षी है। इसके प्रमुख उदाहरण हैं Sun birds जो कभी-कभी पुष्प पर ही आराम करते दिख जाते हैं। कुछ अन्य ऐसे पक्षी के उदाहरण हैं-कौआ, तोता एवं मैना। Q.वायु पराजित (Anemophily) पुष्पों के अनुकूलन बताइए। (Mention adaptations of Anemophily flowers.) उत्तर–सामान्यतः एकलिंगी यथा नारियल, खजूर, मक्का, घास इत्यादि की विभिन्न जातियों में परागण वायु द्वारा होता है। इनमें परागकण बड़ी संख्या सूक्ष्म, सपाट व शुष्क होते हैं। अतः वायु की दिशा में परागकण बहुत दूरी तक गति करते हैं। चीड़ के पंख युक्त परागकण जनक पादपों से कई से किलोमीटर दूर तक पाए जाते हैं। Q. पराग एलर्जी क्या है ? (What is Pollen allergy ?) उत्तर- विशेषकर वायु परागित प्रजाति में परागकण का उत्पादन वृहद् संख्या में होता है। ये हवा में तैरते रहते हैं तथा श्वासनली में प्रवेश कर जाता है। इससे कुछ व्यक्ति में एलर्जी हो जाता है जिसमें श्वास संबंधी विकार उत्पन्न हो जाता है, जैसे- राइनाइटिस, अस्थमा, ब्रोंकाइटिस। परागकण एलर्जी के प्रमुख कारक हैं - Carrot grass पार्थेनियम। इसका प्रवेश भारत में दूषित गेहूँ के साथ हुआ तथा धीरे-धीरे समूचे देश में फैल गया। परागकण एलर्जी के अन्य स्रोत हैं चिनोपोडियम, अमरेंथस, शोरगम इत्यादि । Q.द्विनिषेचन से क्या समझते हैं ? (What do you understand by Double fertilization ?) - निषेचन की क्रिया में नरयुग्मक का अंड से मिलकर द्विगुणित उत्तर-1 युग्मनज ( diploid zygote) बनना तथा द्वितीयक केंद्रक का नरयुग्मक से संलयन द्विनिषेचन (double fertilization) कहलाता है। यह केवल आवृत्तबीजी पौधों में पाया जाता है। द्विनिषेचन की खोज Nawaschin ने 1898 में किया था Q. त्रिसंलयन (Triple fusion) किसे कहते हैं ? (What do you understand by Triple fusion ?) उत्तर- भ्रूणकोष (embryosac) के अंदर दूसरे नर युग्मक का केंद्रक द्वितीयक केंद्रक से संलयन कर प्राथमिक भ्रूणपोष केंद्रक (Primary endosperm nucleus) बनाता है। चूँकि इसमें तीन केंद्रकों का संलयन होता है (= दो पोलर केंद्रक तथा तीसरा नर युग्मक), अतः इसे त्रिसंलयन (Triple fusion) कहते हैं । Q.. दोहरे निषेचन के महत्त्व का वर्णन करें। (Describe the significance of Double fertilization.) उत्तर-द्विनिषेचन का आवृत्तबीजी पौधों में विशेष महत्त्व है। यदि पौधों में केवल संयुग्मन (Syngamy) हो और त्रिसंलयन (Triple fusion) नहीं हो तो भ्रूणपोष नहीं बनेगा। फलतः अविकसित भ्रूणवाला बीज बनेगा या बीज भ्रूणहीन होगा। Q.भ्रूण क्या है ? (What is embryo ? ) उत्तर-भ्रूण भ्रूणकोश या पुटी के बीजांड द्वारा सिरे पर विकसित होता है, जहाँ पर युग्मनज स्थित होता है। अधिकतर युग्मनज तब विभाजित होते हैं जब कुछ निश्चित सीमा तक भ्रूण पोष विकसित हो जाता है। युग्मनज प्राक्भ्रूण के रूप में वृद्धि करता है और इसके सापेक्ष ही गोलाकार, हृदयाकार तथा परिपक्व भ्रूण में वृद्धि करता है। एक प्रारूपी द्विबीजपत्री भ्रूण में एक भ्रूणीय अक्ष तथा दो बीजपत्र समाहित होते हैं। Q. केन्द्रकीय भ्रूणपोष से क्या समझते हैं ? (What do you understand by Nuclear endosperm ?) उत्तर- इस प्रकार के भ्रूणपोष में भ्रूणपोष केन्द्रक का विभाजन (free nulclear) होता है। इस प्रकार के विभाजन में केन्द्रकों के बीच मुक्त केन्द्रकीय भित्तियाँ नहीं बनती हैं। अंत में कोशिका-भित्तियों के बनने के कारण संपूर्ण भ्रूणपोष कोशिकीय (Cellular) हो जाता है। जैसे नारियल का भ्रूणपोष केन्द्रकीय होता है। इसे द्रव सिन्सीटियम (liquid syncytium) भी कहते हैं। Q. माध्यमिक/हेलोबियल भ्रूणपोष क्या है ? (What is Helobial endosperm ?) उत्तर- इस प्रकार के भ्रूणपोष में भ्रूणपोष केन्द्रक के विभाजन के द्वारा दो कोशिकाएँ बनाती हैं उनमें एक बड़ी होती है तथा दूसरी छोटी बड़ी कोशिका को माइक्रोपाइलर चैम्बर (micropylar chamber) तथा छोटी को चैलेजल चैम्बर (chalazal chamber) कहते हैं। माइक्रोपाइलर चैम्बर के केन्द्रक में विभाजन के द्वारा मुख्य भ्रूणपोष बनता है। यह एकबीजपत्री पौधों के हेलोबी (Helobiae) समुदाय में पाया जाता है। Q. किसी आवृत्तबीजी पौधों में निषेचन का वर्णन करें। (Give an account of fertilization in plants.) (= Angiosperms) उत्तर - नर तथा मादा युग्मक के संलयन को निषेचन कहते हैं। बीज वाले पौधों में नर युग्मक को मादा गैमेटोफायट के अंडे के करीब परागनलिका द्वारा लाया जाता है। इस क्रिया को Siphonogamy कहते हैं। इसके द्वारा बड़ी संख्या में परागकण का अंकुरण वर्तिकाग्र के ऊपर होता है। सिर्फ इसका परागनलिका ही इस कार्य को करता है। परागनलिका अंतर्कोशिकीय तथा Chemotropically बढ़ता है कैल्सियम-बोरोन-आइनोसायटोल- शर्करा द्वारा संगठित जटिल रचना के संवेदीग्रहण द्वारा । परागण का स्थानांतरण परागनलिका में कायिक केंद्रक के अलावा दोनों युग्मक द्वारा होता है। उदाहरण सहित करें। न T न Q. मरो भेदी (Saprophytic) तथा युग्मीभेदी (Gametophytic) generations से क्या समझते हैं ? (What do you mean by Saprophytic and Gametophytic generations ? ) उत्तर -पौधों के जीवन चक्र में Alternation of generation होता है। 7 अगुणित बीजाणु द्वारा अर्द्धसूत्रीभाजन के पश्चात् अगुणित वंशज में निर्मित पादप निकाय तथा युग्मक से द्विगुणित युग्मज उत्पन्न होता है, जिसे गैमेटोफायट जेनेरेशन कहते हैं तथा ऐसे पादप निकाय को गैमेटोफायट कहते हैं। परन्तु निषेचन के बाद जाइगोट द्विगुणित वंशज से बना पादप निकाय अंतिम रूप से लघु बीजाणू तथा बृहद् बीजाणू बनाता है जिसे स्फोरोफायट वंशज कहते हैं। अतः किसी भी पौधें में स्फोरोफायट के मौजूदगी के बाद होता है। अतः इसे एकान्तर चक्र कहते हैं । Q. भ्रूणपोष की घटक कोशिकाओं का नाम दें। (Write the name of component cells of Endosperm.) उत्तर- भ्रूणपोष की घटक कोशिकाएँ निम्नलिखित हैं- (a) अंडा (b) सहायक कोशिका (77) (c) द्वितीयक केंद्रक (2n) (d) एन्टीपोडल कोशिका (n) । Q. अनिषेक फल क्या है ? इस प्रक्रिया से बने एक फल का नाम दें। (What is Pseudocarpic fruit? Write name of such a fruit.) उत्तर - यदि किसी फल का विकास बिना निषेचन के हो तो इसे अनिषेक फल कहते हैं, जैसे- अंगूर । Q.बहुभ्रूणता के कारण का वर्णन करें। (Describe the causes of Polyembryory.) उत्तर- बहुभ्रूणता के निम्नलिखित कारण हो सकते हैं (i) जब बीजांड (ovule) में एक से अधिक भ्रूणकोष ( embryosac ) हों । (ii) जब भ्रूणकोष में एक से अधिक अंडकोशिका (egg cell) हों । (iii) जब निषेचन के पश्चात अंड कई छोटे-छोटे भागों में विभाजित हो जाए तथा प्रत्येक भाग से एक भ्रूण का निर्माण हो । (iv) जब भ्रूण का निर्माण भ्रूण कोष की बाहरी कोशिकाओं से हो । Q. बहुभ्रूणता के महत्त्व का वर्णन करें ।(Describe the importance / significance of polyembryony.) उत्तर- (i) बहुभ्रूणता उद्यान वैज्ञानिकों के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण है। इसके द्वारा एक ही तरह के पौधों का निर्माण किया जा सकता है। (ii) पुत्री - पौधों (daughter plants) में मातृ-पौधों के गुण विद्यमान रहते हैं।
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Sep 04, 11:59 PM
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Question type
Subjective