Page 1 :
भरत के राष्ट्रपति की संकटकालीन शक्तियों का वर्णन करो।, , (छक्ताशा। ९ पिालएशाएए 00075 णी वि एएडांतैशा। एम कातां9.) का, , उत्तर-जिस प्रकार किसी व्यक्ति के जीवन में कठिनाइयां आ सकती हैं, उसी प्रकार राष्ट्र के जीवन में भी संकट, आर सकते हैं। संकट का सामना करने के लिए सरकार के पास असाधारण शक्तियों का होना आवश्यक है। अतः, हविधान के अंतर्गत संकटकालीन धाराओं का वर्णन कर देना उचित होता है। भारतीय संविधान निर्माताओं ने, पएकटकाल का सामना करने के लिए संविधान के भाग 1 8 में संकटकालीन धाराओं का वर्णन किया है आर्थात् इस, श्ाग में राष्ट्रति की संकटकालीन शक्तियों का वर्णन किया गया है ताकि देश की सुरक्षा को सुरक्षित रखा जा सके, , संविधान के अनुच्छेद 352, 356 तथा 360 में तीन प्रकार के संकट का वर्णन किया गया है, (1) युद्ध, विदेशी आक्रमण तथा सशस्त्र विद्रोह से उत्पन्न संकट।, , (2) किसी राज्य में संवैधानिक प्रणाली के फेल हो जाने के कारण बने आकस्मिक संकट।, , (3) देश में आर्थिक अथवा वित्तीय संकट के कारण उत्पन्न परिस्थिति।, , 1. युद्ध, विदेशी आक्रमण तथा सशस्त्र विद्रोह से उत्पन्न संकट (क्रोशाएशाटए 07९ 10 शै्वा, अड्राशपदईं, बशष्टाश्डधांणा छा #पार्त एकशांणा-411. 352)-.., , संविधान की धारा 352 के अनुसार राष्ट्रपति राष्ट्रीय संकट (५४४०७ थ४०1००) की घोषणा कर सकता, है बदि उसको विश्वास हो जाए कि गंभीर संकट उत्पन्न हो गया है जैसे युद्ध, विदेशी आक्रमण अथवा सशस्त्र विद्रोह, के कारण भारत अथवा उसके राज्य क्षेत्र के किसी भी भाग की सुरक्षा खतरे में है। राष्ट्रपति संकटकालीन घोषणा, तभी कर सकता है यदि मंत्रिमंडल संकटकालीन घोषणा करने की लिखित सलाह दे।, , राष्ट्रपति की राष्ट्रीय संकट की घोषणा एक महीने तक लागू रह सकती है। एक महीने के बाद संकटकालीन, घेषणा समाप्त हो जाती है। यदि इससे पहले संसद् के दोनों सदन अलग-अलग इसको कुल संख्या के बहुमत और, उपस्थित तथा मतदान के दो-तिहाई सदस्यों ने पास न कर दिया हो तो यह घोषणा 6 महीने तक लागू रह सकती, है और संकटकाल की घोषणा को 6 महीने से अधिक लागू रखने के लिए यह आवश्यक है कि 6 महीने के बाद
Page 2 :
काम बल संकटकाल की घोषणा के प्रप्ताव को पास कर द ता सकटकाल कौ घोषणा लागू रह सकती है।, पल के शा प्रतिशत सदस्य अधबा अधिक सदस्य घोषणा के अस्वीकृति प्रस्ताव पर विचार करने के लिए, ॥2 सात बला सकते हैं। हे, मल पं आम पा ् 0 1:00)॥1011101)--राष्ट्रीय संकरकालीन घोषणा के समय शासन का संघीय, स्प्प प्लस हो जाता है। समप्त देश का शासन संधोय साक्षार री हाथ में आ जाता है। ।, (1) कें्रीय सरकार राज्यों की सरकारों को निर्देश दे सकती है कि वे अपनी कार्यपालिका शक्तियों, किस प्रकार करे। राज्यों के राज्यपाल राष्ट्रपति का आदेशानुसार कार्यकारी शक्ति का प्रयोग करते है ।, (2) संसद् को राज्य सूची में दिए गए विषयों पर कानून बनाने का अधिकार मिल जाता है।, , ध्टूपति को संधीय सरकार तथा राज्यों में धन- विभाजन संबंधी योजना में अपनी, (3) राष्ट्पति को संधीय सरका योजना में « इच्छानुसार परिवर्तन, , करने का अधिकार मिल जाता है।, (4) संसद् को संकटकाल के समय अपने कानून द्वारा अपनी अवधि को एक बार में एक वर्ष तक वहा:, अधिकार मिल जाता है। परंतु यह अवधि संकटकालीन घोषणा के समाप्त होने पर 6 मास से अधिक नहीं झा स्, || जढ़ाइ जा, , का, , सकती है।, (5) धारा 19 के अंतर्गत दी गई स्वतंत्नताओं को स्थगित किया जा सकता है।, (७) राष्ट्रपति राज्य-सूची के विषयों पर अध्यादेश जारी कर सकता है।, (४) 44वें संशोधन से पूर्व राष्ट्रपति संकटकाल में किसी भी- मौलिक अधिकार को लागू करने के लिए, , का सहारा लेने के अधिकार को समस्त भारत या उसके किसी भी भाग में स्थगित कर सकता था पर 4, , संशोधन के अनुसार अनुक्तेद 21 के अंतर्गत जीवन व व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार को लागू कराने के अधिकार, , को स्थगित नहीं किया जा सकता है। न् ;, चीनी आक्रमण पर राष्ट्रपति ने 20 अक्तूबर, 1962, , दूसरी बार यह घोषणा 3 दिसंबर, 1971 को की गई और तीसरी बार 26 जून, 1975 को राष्ट्रपति ने, , आंतरिक अशांति के कारण आपातकालीन घोषणा की, , और इस आंतरिक आपातकालीन स्थिति को 21 मार्च,, 1977 को समाप्त किया गया और 1941 में लागू की गई आपातकालीन स्थिति को 27 मार्च, 1977 को, समाप्त किया गया।, , 2. राज्य में संवैधानिक मशीनरी फेल होने से उत्पन्न हुआ संकर्द (सवाश'एला९ए तए९ (0० 0९ (णाषतएतण॥।, , एथथा६१0७ा1-॥(. 356)--जब राष्ट्रपति को गवर्नर की रिपोर्ट पर अथवा किसी अन्य स्रोत के आधार पर, विश्वास हो जाए कि राज्य का शासन संविधान की धाराओं के अनुसार नहीं चलाया जा सकता तो वह इस स्थिति, में संकटकाल की घोषणा कर सकता है। संसद् की स्वीकृति के बिना यह घोषणा 2 महीने तक लागू रह सकती है।, संसद् की स्वीकृति मिलने पर यह घोषणा 6 महीने तक लागू रह सकती है और 6 महीने बाद यदि दोबारा प्रस्ताव, पास कर दे तो 6 महीने और लागू रह सकती है। इस प्रकार की घोषणा साधारणतः अधिक-से-अधिक 1 वर्ष तक त्रापू, रह सकती है। एक वर्ष से अधिक तभी लागू रह सकती है, यदि राष्ट्रपति दूवारा न लागू हो और बुक, आयोग यह प्रमाण-पत्र दे कि विधानसभा के चुनाव करवाना कटिन है। 59वें संशोधन के अंतर्गत पंजाब में गा, अधिकतम अवधि 3 वर्ष की गई। परंतु 64वें, 6 7वें तथा 68वें संशोधन दूवारा यह अवधि 6-6 के पे, प्रभाव (#100८७)--- (1) राष्ट्रपति राज्य की सरकार के उच्च न्यायालय को भी छोड़ कर अन्य, के सब या कोई भी कार्य अपने हाथ में ले सकता है। ेल्, (2) पाया कर सकता है कि राज्य के विधानमंडल की शक्तियां संसद् के अधिकार दूवारा या अधी1, प्रयुक्त होंगी। धार में हैं, राष्ट्रपति की, ट (3) संसद् उन वैधानिक शक्तियों को जो उसे राज्य विध 1 बदले में प्रात होती हैं, र, हस्तांतरित कर सकती है जो उसे अन्य किसी अधिकारी को सौंप सकता ये संचित निधि में से संसद् की स्वीकृत, (4) जब लोकसभा का अधिवेशन न हो रहा हो तो तब राष्ट्रपति राज्य, हा तक आवश्यक व्यय को प्राधिकृत कर सकता है।, , को पहली बार भारत में संकटकाल की घोषणा की थी।
Page 3 :
पकता है अथवा उसे स्थगित कर सकता है।, , (5) राष्ट्रपति उस राज्य की विधानसभा को भंग कर, 1951 में पंजाब में प्रथम बार इस घोषणा को लागू किया गया था।, 3. आर्थिक संकट के समय उत्पन्न स्थिति (सख्रालफुलाट॥ तप (0 सितक्षारटोत्रा (:ऑक्रब---4&7.- 360)-न्यदि, राष्ट्रति को विश्वास हो जाए कि भारत या उसके किसी राज्य के क्षेत्र के किसी भाग का वित्तीय स्थायित्व संकट, में है तो वह वित्तीय आपात् की घोषणा कर सकता है (अनुच्छेद 360)। ऐसी उद्घोषणा पर दो महीने के अंदर, अंदर संसद की स्वीकृति प्राप्त हो जानी चाहिए। वित्तीय संकट की घोषणा भारत में अभी तक एक बार भी नहीं की, गई है। इस प्रकार की संकट स्थिति में राष्ट्रपति को निम्नलिखित विशेष शक्तियां मिलती हैं, (क) वह राज्यों दवारा पास किए गए धन बिलों को अपनी स्वीकृति के लिए मंगवा सकता हैं।, , (ख) वह राज्यों को धन-संबंधी कोई भी आदेश दे सकता है।, , (ग) वह सभी सरकारी कर्मचारियों के (केन्द्र और राज्य के जिनमें सर्वोच्च तथा उच्च न्यायालय के न्यायावीश, भी सम्मिलित हैं) वेतन और भत्ते में कमी कर सकता है।, , (घ) राष्ट्रपति संघ तथा राज्यों के मध्य आय के साधारण विभाजन में भी परिवर्तन कर सकता है।, , 6. ६, बह >>