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Visit our official website http://educationkeeda.info, लूसेंट सामान्य ज्ञान, 66, मिलता-जुलता सब-एटोमिक पार्टिकल की खोज करने में सफलता, हासिल की है। इससे ब्रह्माण्ड के रहस्यों को जानने के विषय में, महत्वपूर्ण उपलब्धि माना जा रहा है ।, नोट: ब्रिटिश वैज्ञानिक हिग्स ने 1964 ई. में कास्मीलॉजी समझने हेतु गाॉड, पार्टिकल परमाणविक अवधारणा को पेश किया था जो भारतीय, वैज्ञानिक सत्येन्द्रनाथ बोस के बोसन थ्योरी पर आधारित थी ।, ब्रह्माण्ड का व्यास 10° प्रकाशवर्ष है । ब्रह्माण्ड में अनुमानतः, 100 अरब मंदाकिनी (Galaxy)है । प्रत्येक मंदाकिनी में अनुमानतः, 100 अरब तारे होते हैं।, > मंदाकिनी : तारों का ऐसा समूह, जो धुँधला-सा दिखाई पड़ता है।, तथा जो तारा-निर्माण प्रक्रिया की शुरुआत का गैसपुंज है, मंदाकिनी, (galaxy) कहलाता है। हमारी पृथ्वी की अपनी एक मंदाकिनी, है, जिसे दुग्धमेखला या आकाशगंगा (Milky Way) कहते हैं।, अबतक ज्ञात इस मंदाकिनी का 80% भाग सर्पीला (spiral) है ।, इस मंदाकिनी को सबसे पहले गैलीलियो ने देखा था।, > आकाशगंगा की सबसे नजदीकी मंदाकिनी को देवयानी, (Andromeda) नाम दिया गया है।, > नवीनतम ज्ञात मंदाकिनी (Galaxy) है, > ऑरियन नेबुला हमारी आकाशगंगा के सबसे शीतल और चमकीले, तारों का समूह है तारों के बारे में विस्तृत जानकारी के लिए, भौतिक का अध्याय ब्रह्मांड देखें।, > सूर्य की उम्र-5 बिलियन वर्ष है ।, > भविष्य में सूर्य द्वारा ऊर्जा देते रहने का समय 10! वर्ष है ।, > सूर्य के प्रकाश को पृथ्वी तक पहुँचने में 8 मिनट 16.6 सेकेण्ड, का समय लगता है।, > सौर ज्वाला को उत्तरी ध्रुव पर औरोरा बोरियालिस और दक्षिणी, ध्रुव पर औरोरा औस्ट्रेलिस कहते हैं।, > सूर्य के धब्बे (चलते हुए गैसों के खोल) का तापमान आसपास, के तापमान से 1500°C कम होता है । सूर्य के धब्बों का एक पूरा, चक्र 22 वर्षों का होता है; पहले 11 वर्षों तक यह धब्बा बढ़ता, है और बाद के 11 वर्षों तक यह धब्बा घटता है। जब सूर्य की, सतह पर धब्बा दिखलाई पड़ता है, उस समय पृथ्वी पर चुम्बकीय, झंझावात (Magnetic Storms) उत्पन्न होते हैं इससे चुम्बकीय, सुई की दिशा बदल जाती है एवं रेडियो, टेलीविजन, बिजली, चालित मशीन आदि में गड़बड़ी उत्पन्न हो जाती है ।, > सूर्य का व्यास 13 लाख 92 हजार किमी है, जो पृथ्वी के व्यास, का लगभग 110 गुना है।, > सूर्य हमारी पृथ्वी से 13 लाख गुना बड़ा है, और पृथ्वी को सूर्यताप, का 2 अरबवां भाग मिलता है।, -इवार्फ मंदाकिनी, हमारा बदलता ट्रूष्टिकोण, प्रारंभ में पृथ्वी को सम्पूर्ण ब्रह्मांड का केन्द्र माना जाता था जिसकी परिक्रमा, सभी आकाशीय पिंड (Celestical bodies) विभिन्न कक्षाओं (Orbit), में करते थे। इसे केन्द्रीय सिद्धान्त (Geocentric Theory) कहा, गया। इसका प्रतिपादन मिस्र-यूनानी खगोलशास्त्री क्लाडियस टॉलमी, 140 ई. में किया था। इसके बाद पोलैंड के खगोलशास्त्री निकोलस, कॉपरनिकस (1473-1543 ई.) ने यह दर्शाया कि सूर्य ब्रहम्मांड के केन्द्र, पर है तथा ग्रह इसकी परिक्रमा करते हैं । अतः सूर्य विश्व या ब्रह्मांड, का केन्द्र बन गया। इसे सूर्यकेन्द्रीय सिडान्त (Heliocentric Theory), कहा गया। 16वीं शताब्दी में टायकोब्रेह के सहायक जोहानेस कैप्लर, (1571-1630) ने ग्रहीय कक्षाओं के नियमों की खोज की परन्तु इसमें, भी सूर्य को ब्रह्मांड का केन्द्र माना गया। 20वीं शताब्दी के आरंभ में, जाकर हमारी मंदाकिनी दुग्धमेखला की तस्वीर स्पष्ट हुई। सूर्य को इस, मंदाकिनी के एक सिरे पर अवस्थित पाया गया । इस प्रकार सूर्य को, ब्रह्मांड के केन्द्र पर होने का गौरव समाप्त हो गया, 2. सौरमंडल, > सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाने वाले विभिन्न ग्रहों, क्षुद्रग्रहों,, धूमकेतुओं, उल्काओं तथा अन्य आकाशीय पिंडों के समूह को, सौरमंडल (Solar system)कहते हैं। सौरमंडल में सूर्य का प्रभुत्व, है, क्योंकि सौरमंडल निकाय के द्रव्य का लगभग 99.999 द्रव्य सूर्य, में निहित है। सौरमंडल के समस्त ऊर्जा का स्रोत भी सूर्य ही है ।, > प्लेनेमस सौरमंडल से बाहर बिल्कुल एक जैसे दिखने वाले, पिंडों का एक समूह है।, सूर्य (Sun):, सूर्य (Sun) सौरमंडल का प्रधान है। यह, दुग्धमेखला के केन्द्र से लगभग 30,000 प्रकाशवर्ष की दूरी पर, एक कोने में स्थित है।, Catfone, यह दुग्धमेखला मंदाकिनी के केन्द्र के चारों ओर 250 किमी/से. की, गति से परिक्रमा कर रहा है। इसका परिक्रमण काल (दुग्धमेखला, के केन्द्र के चारों ओर एक बार घूमने में लगा समय 25 करोड़, (250 मिलियन) वर्ष है, जिसे ब्रह्मांड वर्ष (Cosmos year), कहते हैं। सूर्य अपने अक्ष पर पूर्व से पश्चिम की ओर घूमता है ।, इसका मध्य भाग 25 दिनों में व ध्रुवीय भाग 35 दिनों में, घूर्णन करता है।, > सूर्य एक गैसीय गोला है, जिसमें हाइड्रोजन 71%, हीलियम, 26.5% एवं अन्य तत्व 2.5% होता है सूर्य का केन्द्रीय भाग, क्रोड (Core) कहलाता है, जिसका ताप 1.5 x10°C होता है, तथा सूर्य के बाहरी सतह का तापमान 6000°C है ।, > हैंस बेथ (Hans Bethe) ने बताया कि 10 °C ताप पर सूर्य के, केन्द्र पर चार हाइड्रोजन नाभिक मिलकर एक हीलियम नाभिक, का निर्माण करता है। अर्थात् सूर्य के केन्द्र पर नाभिकीय संलयन, होता है जो सूर्य की ऊर्जा का स्रोत है ।, > सूर्य की दीप्तिमान सतह को प्रकाशमंडल (Photosphere) कहते, हैं। प्रकाशमंडल के किनारे प्रकाशमान नहीं होते, क्योंकि सूर्य, का वायुमंडल प्रकाश का अवशोषण कर लेता है इसे वर्णमंडल, (Chromosphere) कहते हैं। यह लाल रंग का होता है ।, > सूर्य-ग्रहण के समय सूर्य के दिखाई देनेवाले भाग को सूर्य-किरीट, (Corona) कहते हैं। सूर्य-किरीट X-ray उत्सर्जित करता है । इसे, सूर्य का मुकुट कहा जाता है। पूर्ण सूर्य-ग्रहण के समय सूर्य-किरीट, से प्रकाश की प्राप्ति होती है ।, सौरमंडल के पिंड :, > अन्तर्राष्ट्रीयखगोलशास्त्रीय संघ (InternationalAstronomical, Union-IAU)की प्राग सम्मेलन-2006 के अनुसार सौरमंडल में, मौजूद पिंडों को निम्नलिखित तीन श्रेणियों में बाँटा गया है -, 1. परम्परागत ग्रह : बुध, शुक्र, पृथ्वी, मंगल, बृहस्पति, शनि, अरुण, एवं वरुण ।, 2. बौने ग्रह : प्लूटो, चेरॉन, सेरस, 2003 यूबी 313।, 3. लघु सौरमंडलीय पिंड: धूमकेतु, उपग्रह एवं अन्य छोटे खगोलीय पिंड ।, > ग्रह : ग्रह वे खगोलीय पिंड हैं जो निम्न शर्तों को पूरा करते हों- 1. जो, सूर्य के चारों ओर परिक्रमा करता हो 2. उसमें पर्याप्त गुरुत्वाकर्षण, बल हो जिससे वह गोल स्वरूप ग्रहण कर सके । 3. उसके आस-, पास का क्षेत्र साफ हो यानी उसके आस-पास अन्य खगोलीय, पिंडों की भीड़-भाड़ न हो। ग्रहों की उपर्युक्त परिभाषा आई. एन., यू. की प्राग सम्मेलन (अगस्त-2006 ई.) में तय की गई है ग्रह, की इस परिभाषा के आधार पर यम (Pluto) को ग्रह के श्रेणी, से निकाल दिया गया फलस्वरूप परम्परागत ग्रहों की संख्या 9 से, घटकर 8 रह गयी। यम को बौने ग्रह की श्रेणी में रखा गया है।, ग्रहों को दो भागों में विभाजित किया गया है-, 1. पार्थिव या आन्तरिक ग्रह ( Terrestrial or Inner planet): बुध,, शुक्र, पृथ्वी एवं मंगल को पार्थिव ग्रह कहा जाता है, क्योंकि ये, पृथ्वी के सदृश होते हैं।, 2. बृहस्पतीय या बाह्य ग्रह Jovean or outer planet) : बृहस्पति,, शनि, अरुण व वरुण को बृहस्पतीय ग्रह कहा जाता है।, एक, A A
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Visit our official website - http://educationkeeda.info, भूगोल, 67, > मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र एवं शनि, इन पाँच ग्रहों को नंगी, आँखों से देखा जा सकता है।, > इसके दिन का मान एवं अक्ष का झुकाव पृथ्वी के समान है।, > यह अपनी धुरी पर 24 घंटे में एक बार पूरा चक्कर लगाता है।, आकार के अनुसार ग्रहों का क्रम (घटते क्रम में) है : बृहस्पति,, शनि, अरुण, वरुण, पृथ्वी, शुक्र, मंगल एवं बुध अर्थात सबसे, बड़ा ग्रह बृहस्पति एवं सबसे छोटा ग्रह बुध है।, घनत्व के अनुसार ग्रहों का क्रम (बढ़ते क्रम में) है : शनि, अरुण,, बृहस्पति, नेप्च्यून, मंगल एवं शुक्र, > सूर्य से दूरी के अनुसार ग्रहों का क्रम बुध, शुक्र, पृथ्वी, मंगल,, बृहस्पति, शनि, अरुण (यूरेनस) एवं वरुण (नेप्ट्यून) यानी सूर्य, के सबसे निकट का ग्रह बुध एवं सबसे दूर स्थित ग्रह वरुण है।, > द्रव्यमान के अनुसार ग्रहों का क्रम (बढ़ते क्रम में): बुध, मंगल, शुक्र,, पृथ्वी, अरुण, वरुण, शनि एवं बृहस्पति यानी न्यूनतम द्रव्यमान, वाला ग्रह बुध एवं अधिकतम द्रव्यमान वाला ग्रह बृहस्पति है।, > परिक्रमण काल के अनुसार ग्रहों का क्रम (बढ़ते क्रम में): बुध,, शुक्र, पृथ्वी, मंगल, बृहस्पति, शनि, अरुण एवं वरुण ।, > परिभ्रमण काल के अनुसार ग्रहों का क्रम (बढ़ते क्रम में) : बृहस्पति,, शनि, वरुण, अरुण, पृथ्वी, मंगल, बुध एवं शुक्र ।, > अपने अक्ष पर झुकाव के आधार पर ग्रहों का क्रम (बढ़ते क्रम, में) : शुक्र, बृहस्पति, बुध, पृथ्वी, मंगल, शनि, वरुण एवं अरुण ।, > शुक्र एवं अरुण को छोड़कर अन्य सभी ग्रहों का घूर्णन एवं, परिक्रमण की दिशा एक ही है। शुक्र एवं अरुण के घूर्णन की, दिशा पूर्व से पश्चिम (Clockwise) है, जबकि अन्य सभी ग्रहों, के घूर्णन की दिशा पश्चिम से पूर्व ( Anticlock wise) है।, इसके दो उपग्रह हैं-फोबोस (Phobos) और डीमोस (Deimos)।, > सूर्य की परिक्रमा करने में इसे 687 दिन लगते हैं ।, सौरमंडल का सबसे बड़ा ज्वालामुखी ओलिपस मेसी एवं सौरमंडल, का सबसे ऊँचा पर्वत निक्स ओलम्पिया (Nix Olympia) जो, माउंट एवरेस्ट से तीन गुना अधिक ऊँचा है, इसी ग्रह पर स्थित है ।, नोट: मार्स ओडेसी नामक कृत्रिम उपग्रह से मंगल पर बर्फ छत्रकों और, हिमशीतित जल की उपस्थिति की सूचना मिली है। इसीलिए पृथ्वी, के अलावा यह एकमात्र ग्रह है जिस पर जीवन की संभावना, व्यक्त की जाती है। 6 अगस्त, 2012 ई. को NASA का मार, क्यूरियोसिटी रोवर नामक अंतरिक्षयान मंगल ग्रह पर गेल क्रेटर, नामक स्थान में पहुँचा। यह मंगल पर जीवन की संभावना तथा, उसके वातावरण का अध्ययन कर रहा है।, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (ISRO) ने अपना मंगलयान, (MarsOrbitMission-MOM)5नवम्बर, 2013 को श्री हरिकोटा, (आन्ध्रप्रदेश) से धुरुवीय अंतरिक्ष प्रक्षेपणयान PSLV-C-25 से, प्रक्षेपित किया। यह भारत का पहला अंतराग्रहीय अभियान है ।, यदि यह सफल हो जाता है, तो इसरो सोवियत अंतरिक्ष कार्यक्रम,, नासा एवं, होगी जिसने मंगल ग्रह के लिए अपना अंतरिक्षयान भेजा।, यन अंतरिक्ष एजेंसी के बाद चौथी अंतरिक्ष एजेंसी, शनि (Saturn):, यह आकार में, इसकी विशेषता है-इसके तल के चारों ओर वलय का होना, (मोटी प्रकाश वाली कुंडली)। वलय की संख्या 7 है। यह आकाश, में पीले तारे के समान दिखाई पड़ता है।, दूसरा सबसे बड़ा ग्रह है ।, बुध (Mercury);, > यह सूर्य का सबसे नजदीकी ग्रह है जो सूर्य निकलने के दो घंटा, पहले दिखाई पड़ता है।, > यह सबसे छोटा ग्रह है, जिसके पास कोई उपग्रह नहीं है।, इसका सबसे विशिष्ट गुण है- इसमें चुम्बकीय क्षेत्र का होना, यह सूर्य की परिक्रमा सबसे कम समय में पूरी करता है। अर्थात्, यह सौरमंडल का सर्वाधिक कक्षीय गति वाला ग्रह है।, शनि का सबसे बड़ा उपग्रह टाइटन है जो सौरमंडल का दूसरा, सबसे बड़ा उपग्रह है। यह आकार में बुध के बराबर है। टाइटन, की खोज 1665 में डेनमार्क के खगोलशास्त्री क्रिश्चियन हाइजोन, ने की। यह एकमात्र ऐसा उपग्रह है जिसका पृथ्वी जैसा स्वयं का, सघन वायुमंडल है।, > फोबे नामक शनि का उपग्रह इसकी कक्षा में घूमने की विपरीत, दिशा में परिक्रमा करता है।, > यहाँ दिन अति गर्म व रातें बर्फीली होती, सभी ग्रहों में सबसे अधिक (600°C) है । इसका तापमान रात में, -173°C व दिन में 427°C हो जाता, इसका तापान्तर, > इसका घनत्व सभी ग्रहों एवं जल से भी कम है। यानी इसे जल, में रखने पर तैरने लगेगा ।, शुक्र (Venus):, यह पृथ्वी का निकटतम, सबसे, > इसे साँझ का तारा या भोर का तारा कहा जाता है, क्योंकि यह, शाम में पश्चिम दिशा में तथा सुबह में पूरब की दिशा में आकाश, में दिखाई पड़ता है।, यह अन्य ग्रहों के विपरीत दक्षिणावर्त (clockwise)चक्रण करता है।, > इसे पृथ्वी का भगिनी ग्रह कहते हैं। यह घनत्व, आकार एवं व्यास, में पृथ्वी के समान है।, > इसके पास कोई उपग्रह नहीं है ।, कौला एवं सबसे गर्म ग्रह है ।, अरुण (Uranus):, यह आकार में तीसरा सबसे बड़ा ग्रह है। इसका तापमान, लगभग-215°C है ।, > इसकी खोज 1781 ई. में विलियम हर्शेल द्वारा की गयी है।, > इसके चारों ओर नौ वलयों में पाँच वलयों का नाम अल्फा (a),, बीटा (B), गामा (४) डेल्टा (A) एवं इप्सिलॉन है ।, यह अपने अक्ष पर पूर्व से पश्चिम की ओर (दक्षिणावरत) घूमता, है, जबकि अन्य ग्रह पश्चिम से पूर्व की ओर (वामावर्त) घूमते हैं।, यहाँ सूर्योदय पश्चिम की ओर एवं सूर्यास्त पूरब की ओर होता है ।, इसके सभी उपग्रह भी पृथ्वी की विपरीत दिशा में परिभ्रमण करते हैं।, > यह अपनी धुरी पर सूर्य की ओर इतना झुका हुआ है कि लेटा, त हुआ-सा दिखलाई पड़ता है, इसलिए इसे लेटा हुआ ग्रह कहा जाता, है। इसका सबसे बड़ा उपग्रह टाइटेनिया (Titania) है ।, बृहस्पति Jupiter):, > यह सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह है । इसे अपनी धुरी पर चक्कर, लगाने में 10 घंटा (सबसे कम) और सूर्य की परिक्रमा करने में, 12 वर्ष लगते हैं।, > इसके उपग्रह ग्यानीमीड सभी उपग्रहों में सबसे बड़ा है। इसका, रंग पीला है।, मंगल (Mars):, > इसे लाल ग्रह (Red Planet) कहा जाता है, इसका रंग लाल,, आयरन ऑक्साइड के कारण है।, TYOK, वरुण (Neptune):, > इसकी खोज 1846 ई. में जर्मन खगोलज्ञ जहान गाले ने की है ।, > नई खगोलीय व्यवस्था में यह सूर्य से सबसे दूर स्थित ग्रह है ।, यह हरे रंग का ग्रह है इसके चारों ओर अति शीतल मिथेन का, > यहाँ पृथ्वी के समान दो ध्रुव हैं तथा इसका कक्षातली 25° के, कोण पर झुका हुआ है; जिसके कारण यहाँ पृथ्वी के समान ऋतु, परिवर्तन होता है।, बादल छाया हुआ है।, > इसके उपग्रहों में ट्रिटॉन (Triton) प्रमुख है।
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Visit our official website - http://educationkeeda.info, 68, लूसेंट सामान्य ज्ञान, चन्द्रमा (Moon):, चन्द्रमा की सतह और उसकी आन्तरिक स्थिति का अध्ययन करने, वाला विज्ञान सेलेनोलॉजी कहलाता है। चन्द्रमा पर धूल के मैदान, को शान्ति सागर कहते हैं। यह चन्द्रमा का पिछला भाग है, जो, अंधकारमय होता है।, पृथ्वी (Earth):, > पृथ्वी आकार में पाँचवाँ सबसे बड़ा ग्रह, | पृथ्वी का अक्ष उसके, कक्षा-तल पर बने लंब से 235° (23°30') झुका हुआ है दूसरे, शब्दों में पृथ्वी का अक्ष पृथ्वी की कक्षा तल से 66, का कोण बनाता है।, (66°30'), > चन्द्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर स्थित लीबनिट्ज पर्वत [35,000 फीट, (10,668 मीटर)] चन्द्रमा का उच्चतम पर्वत है। चन्द्रमा को जीवाश्म, ग्रह भी कहा जाता है।, पृथ्वी के कक्षा-तल पर लंब, कर्क वृत्त, 23, पृथ्वी का, अक्ष उत्तरी ध्रुव, 66, चन्द्रमा पृथ्वी की एक परिक्रमा लगभग 27 दिन 8 घंटे में पूरी करता, है और इतने ही समय में अपने अक्ष पर एक घूर्णन करता है।, यही कारण है कि चन्द्रमा का सदैव एक ही भाग दिखाई पड़ता, है। पृथ्वी से चन्द्रमा का 57% भाग को देख सकते हैं ।, विषुवत् वृत्त, मकर वृत्त, पृथ्वी का, कक्षा-तल, > चन्द्रमा का अक्ष तल पृथ्वी के अक्ष के साथ 58.48° का अक्ष, कोण बनाता है। चन्द्रमा पृथ्वी, इसका परिक्रमण पथ भी दीर्घ वृत्ताकार है।, अक्ष के लगभग समानान्तर है।, दैक्षिणी, ध्रुव, > चन्द्रमा का व्यास 3,480 किमी तथा द्रव्यमान, पृथ्वी के द्रव्यमान, चित्र-2.11 : पृथ्वी के अक्ष का झुकाव और उसका कक्षा-तल, है।, का लगभग, 81, > यह सौरमंडल का एकमात्र ग्रह है, जिसपर जीवन है। इसका, > सूर्य के संदर्भ में चन्द्रमा की परिक्रमा की अवधि 29.53 दिन ( 29, दिन, 12 घंटे, 44 मिनट और 2.8 सेकेण्ड) होती है इस समय, को एक चन्द्रमास या साइनोडिक मास कहते हैं।, नाक्षत्र समय के दृष्टिकोण से चन्द्रमा लगभग 27 दिन में, उसी स्थिति में होता है। 27 दिन (27 दिन, 7 घंटे, 43 मिनट, एकमात्र उपग्रह चन्द्रमा है।, > इसका विषुवतीय व्यास 12,756 किमी. और धुरुवीय व्यास 12,714, किमी. है।, पुनः, यह अपने अक्ष पर पश्चिम से पूर्व 1,610 किमी प्रतिघंटा की चाल, से 23 घंटे 56 मिनट और 4 सेकेण्ड में एक पूरा चक्कर लगाती, है। पृथ्वी की इस गति को घूर्णन या दैनिक गति कहते हैं। इस, गति से दिन-रात होते हैं।, > पृथ्वी को सूर्य की एक परिक्रमा पूरी करने में 365 दिन 5 घंटे 48, मिनट 46 सेकेण्ड (लगभग 365 दिन 6 घंटे) का समय लगता है, इस समयावधि के दौरान परिक्रमा पूरी करने में पृथ्वी का माध, वेग लगभग 30 किलोमीटर/सेकेण्ड (29.8 किलोमीटर/सेकेण्ड,, होता है। सूर्य के चतुर्दिक पृथ्वी के इस परिक्रमा को पृथ्वी की, वार्षिक गति अथवा परिक्रमण कहते हैं। पृथ्वी को सूर्य की एक, परिक्रमा करने में लगे समय को सौर वर्ष कहा जाता, सौर वर्ष, कैलेण्डर वर्ष से लगभग 6 घंटा बढ़ जाता है, जिसे हर, चौथे वर्ष में लीप वर्ष बनाकर समायोजित किया जाता है। लीप, वर्ष 366 दिन का होता है, जिसके कारण फरवरी माह में 28 के, और 11.6 सेकेण्ड) की यह अवधि एक नाक्षत्र मास कहलाती है।, ज्वार उठने के लिए अपेक्षित सौर एवं चन्द्रमा की शक्तियों का, अपोलो के अंतरिक्ष यात्रियों द्वारा लाये गये चट्टानों से पता चला, है कि चन्द्रमा भी उतना ही पुराना है जितना पृथ्वी (460 करोड़, वर्ष)। इन चट्टानों में टाइटेनियम अधिक मात्रा में है ।, सुपर मून : जब चन्द्रमा पृथ्वी के सबसे निकट होता है, तो उस स्थिति, को सुपर मून कहते हैं। इसे पेरिजी फुल मून भी कहते हैं। इसमें चाँद, 14% ज्यादा बड़ा तथा 30% अधिक चमकीला दिखाई पड़ता है।, नोट: चन्द्रमा एवं पृथ्वी के बीच की औसतन दूरी 3,84,365 किमी है।, > ब्लू मून : एक कैलेण्डर माह में दो पूर्णिमाएँ हों, तो दूसरी पूर्णिमा, का चाँद ब्लू मून कहलाता है। इसका मुख्य कारण दो पूर्णिमाओं, के बीच अंतराल 31 दिनों से कम होना है ऐसा दो-तीन साल, पर होता है। अगस्त, 2012 ई. में दो पूर्णिमा (2 व 31 अगस्त), देखे गये। इनमें से 31 अगस्त के पूर्णिमा को ब्लू मून कहा गया।, जब किसी वर्ष विशेष में दो या अधिक माह ब्लू मून के होते हैं,, मून ईयर कहा जाता है। वर्ष 2018 ई. ब्लू मून ईयर होगा।, बौने ग्रह :, प्रत्येक, स्थान पर 29 दिन होते हैं।, > पृथ्वी पर ऋतु परिवर्तन इसकी अक्ष पर झुके होने के कारण, तथा सूर्य के सापेक्ष इसकी स्थिति में परिवर्तन यानी वार्षिक गति, के कारण होती है। वार्षिक गति के कारण ही पृथ्वी पर दिन-रात, छोटा-बड़ा होता है।, आकार एवं बनावट की दृष्टि से पृथ्वी शुक्र के समान है।, जल की उपस्थिति के कारण इसे नीला ग्रह भी कहा जाता है।, > सूर्य के बाद पृथ्वी के सबसे निकट का तारा प्रॉक्सिमा सेन्चुरी है,, जो अल्फा सेन्चुरी समूह का एक तारा है। यह पृथ्वी से 4.22, प्रकाशवर्ष दूर है ।, नोट :24 अगस्त, 2006 ई. को अंतर्राष्ट्रीय खगोल विज्ञानी संघ (आईएयू), की प्राग (चेक गणराज्य) बैठक में खगोल विज्ञानियों ने प्लूटो का, ग्रह होने का दर्जा खत्म कर दिया, क्योंकि इसकी कक्षा वृत्ताकार, नहीं है और यह वरुण ग्रह की कक्षा से होकर गुजरती है। नई, खगोलीय व्यवस्था में प्लूटो को बौने ग्रहों की श्रेणी में रखा गया, है। यह सूर्य का भी निकटतम तारा है ।, यम (Pluto): IAU ने इसका नया नाम 1,34,340 रखा है।, (क्लाड टामवो ने 1930 ई. में खोज की), अगस्त 2006 ई. की IAU की प्राग सम्मेलन में ग्रह कहलाने के, मापदंड पर खरे नहीं उतरने के कारण यम को ग्रह की श्रेणी से, अलग कर बौने ग्रह की श्रेणी में रखा गया है।, यम को ग्रह की श्रेणी से निकाले जाने का कारण है-1. आकार, में चन्द्रमा से छोटा होना 2. इसकी कक्षा का वृत्ताकार नहीं होना, 3. वरुण की कक्षा को काटना, > सेरस (Ceres): इसकी खोज इटली के खगोलशास्त्री पियाजी ने, किया था।, > साइरस या डॉग स्टार पृथ्वी से 9 प्रकाशवर्ष दूर स्थित है एवं सूर्य, से दोगुने द्रव्यमान वाला तारा है। यह रात्रि में दिखाई पड़ने वाला, सर्वाधिक चमकीला तारा है।, > IAU की नई परिभाषा के अनुसार इसे बौने ग्रह की श्रेणी में, रखा गया है। इसे संख्या 1 से जाना जायेगा। इसका व्यास बुध, के व्यास का 1/5 भाग है।, नोट : अन्य बौने ग्रह हैं चेरॉन एवं 2003 UB 313 (इरिस) ।
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Visit our official website http://educationkeeda.info, भूगोल, 69, सौर परिवार की सारणी, सौर दिवस (Solar day): जब सूर्य को गतिहीन मानकर पृथ्वी द्वारा, उसके परिक्रमण की गणना दिवसों के रूप में की जाती है तब सौर, दिवस ज्ञात होता है। इसकी अवधि पूरे 24 घंटे होती है ।, नोट: अपने परिक्रमा पथ में पृथ्वी सूर्य के चारों ओर 29.8 किमी./से., के वेग से चक्कर लगाती है।, > उपसौर (Perihelion): पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा दीर्घवृत्तीय कक्षा, में करती है जिसके एक कोकस पर सूर्य होता है । जब पृथ्वी सूर्य, के अत्यधिक पास होती है तो उसे उपसौर कहते हैं। ऐसी स्थिति, 3 जनवरी को होती है। ऐसी स्थिति में पृथ्वी और सूर्य के बीच, दूरी 14.70 करोड़ किमी है।, > अपसौर (Aphelion): पृथ्वी जब सूर्य से अधिकतम दूरी पर, होती है तो उसे अपसौर कहते हैं। ऐसी स्थिति 4 जुलाई को होती, है। ऐसी स्थिति में पृथ्वी और सूर्य के बीच की दूरी 15.21 करोड़, किमी होती है।, ग्रहों के व्यास (किमी.) परिप्रमण काल परिक्रमण काल उपग्रहों की, नाम, बुध, शुक्र, पृथ्वी, मंगल, (अपने अक्ष पर) (सूर्य के चारों और) संख्या, 58.6 दिन, 243 दिन, 23.9 घण्टे, ৪৪ दिन, 224.7 दिन, 4,878, 12,104, 365.26 दिन, 687 दिन, 12,756-12,714, 24.6 घण्टे, 9.9 घण्टे, 10.3 घण्टे, 6,796, 1., बृहस्पति, शनि, 11.9 वर्ष, 29.5 वर्ष, 1,42,984, 67, 1,20,536, अरुण, 51,118, 17.2 घण्टे, 84.0 वर्ष, 27, 49,100, * अंतर्राष्ट्रीय खगोल विज्ञानी संघ (IAU) के अनुसार, वरुण, 16.1 घण्टे, 164.8 वर्ष, 13, लघु सौरमंडलीय पिंड :, > क्षुद्र ग्रह ( Asteroids): मंगल एवं बृहस्पति ग्रह की कक्षाओं, के बीच कुछ छोटे-छोटे आकाशीय पिंड हैं, जो सूर्य की परिक्रमा, कर रहे हैं, उसे क्षुद्र ग्रह कहते हैं। खगोलशास्त्रियों के अनुसार, ग्रहों के विस्फोट के फलस्वरूप टूटे टुकड़ों से क्षुद्र ग्रह का निर्माण, हुआ है। क्षुद्र ग्रह जब पृथ्वी से टकराता है, तो पृथ्वी के पृष्ठ, पर विशाल गर्त (लोनार झील-महाराष्ट्र) बनता है।, > फोर वेस्टा एकमात्र क्षुद्र ग्रह है जिसे नंगी आँखों से देखा जा सकता है।, * एपसाइड रेखाः उपसौरिक एवं अपसौरिक को मिलाने वाली काल्पनिक, रेखा सूर्य के केन्द्र से गुजरती है। इसे एपसाइड रेखा कहते हैं।, अक्षांश (Latitude) : विषुवत 1 अंश (°), वृत्त से उत्तर या दक्षिण दिशा में, स्थित किसी स्थान की कोणीय, 60 मिनट ('), 1 मिनट (*) %= 60 सेकेण्ड ("), कहते हैं। यह कोण पृथ्वी के केन्द्र पर बनता है ।, वृत्त से दोनों ओर अंशों में मापा जाता है विषुवत, धूमकेतु (Comet):, > सौरमंडल के छोर पर बहुत ही छोटे-छोटे अरबों पिंड विद्यमान, हैं, जो धूमकेतु या पुच्छल तारे कहलाते हैं यह गैस एवं धूल, का संग्रह है, जो आकाश में लम्बी चमकदार पूँछ सहित प्रकाश, के चमकीले गोले के रूप में दिखाई देते हैं धूमकेतु केवल तभी, दिखाई पड़ता है जब वह सूर्य की ओर अग्रसर होता है, क्योंकि, सूर्य-किरणें इसकी गैस को चमकीला बना देती हैं धूमकेतु, पूँछ हमेशा सूर्य से दूर होता दिखाई देता है ।, > हैले नामक धूमकेतु का परिक्रमण काल 76 वर्ष है, यह अंतिम, बार 1986 ई. में दिखाई दिया था। अगली बार यह 1986 + 76, = 2062 में दिखाई देगा।, > धूमकेतु हमेशा के लिए टिकाऊ नहीं, धूमकेतु के लौटने का समय निश्चित, दूरी को अकष, इसे विषु, वृत्त 0 अंश के अक्षांश को प्रदर्शित करता है। विषुवत वृत्त की, उत्तरी एवं दक्षिणी दिशा में 1° के अंतराल से खींचे जाने पर, 90-90 अक्षांश वृत्त होते हैं। यानी किसी भी स्थान का अक्षांश, 90° से अधिक नहीं हो सकता। विषुवत वृत्त के उत्तरी भाग को, उत्तरी गोलार्द्ध और दक्षिणी भाग को दक्षिणी गोलार्द्ध कहते हैं।, अक्षांश समांतर (Parallels of Latitude) : काल्पनिक रेखाओं, का एक ऐसा समूह जो पृथ्वी के चारों ओर पूर्व से पश्चिम दिशा, में विषुवत रेखा के समानान्तर खींचा जाता है, अक्षांश रेखा, कहलाता है। अथवा भूमध्य रेखा से एकसमान कोणीय दूरी वाले, स्थानों को मिलाने वाली रेखा को अक्षांश रेखा कहते हैं। भूमध्य, रेखा 0° की अक्षांश रेखा है, अतः इस पर स्थित सभी स्थानों का, अक्षांश 0° होगा। भूमध्य रेखा के उत्तर में स्थित अक्षांश रेखाओं, को उत्तरी अक्षांश रेखाएँ तथा इसके दक्षिण में स्थित अक्षांश, रेखाओं को दक्षिणी अक्षांश रेखाएँ कहते हैं। दो अक्षांश रेखाओं, के मध्य की दूरी 111 किमी. होती है ।, नोट : यदि अक्षांश समांतरों को 1° के अंतराल पर खींचते हैं, तो उत्तरी, एवं दक्षिणी दोनों गोलाद्धों में 89 अक्षांश समांतर होंगे। इस प्रकार, विषुवत वृत्त को लेकर अक्षांश समांतरों की कुल संख्या 179 होगी ।, फिर भी प्रत्येक, उल्का (Meteors):, > उल्काएँ प्रकाश की चमकीली धारी के रूप में देखते हैं जो आकाश, में क्षणभर के लिए दमकती हैं और लुप्त हो जाती हैं । उल्काएँ, क्षुद्र ग्रहों के टुकड़े तथा धूमकेतुओं द्वारा पीछे छोड़े गये धूल के, कण होते हैं।, 3. पृथ्वी और उसका सौर्यिक संबंध, भूमध्य रेखा के उत्तर में 23--- अक्षांश को कर्क रेखा और दक्षिण, में 23- अक्षांश को मकर रेखा कहते हैं ।, > प्रकाश-चक्र (Circle of IIlumination): वैसी काल्पनिक रेखा, जो पृथ्वी के प्रकाशित और अप्रकाशित भाग को बाँटती है ।, > पृथ्वी की गतियाँ: पृथ्वी की दो गतियाँ हैं-, 1. घूर्णन (Rotation) या दैनिक गति : पृथ्वी सदैव अपने अक्ष पर, पश्चिम से पूर्व घूमती रहती है जिसे पृथ्वी का घूर्णन या परिभ्रमण, कहते हैं। इसके कारण दिन व रात होते हैं। अतः इस गति को, दैनिक गति भी कहते हैं।, परिक्रमण (Revolution) या वार्षिक गति : पृथ्वी अपने अक्ष, पर घूमने के साथ-साथ सूर्य के चारों ओर एक दीर्घवृत्तीय मार्ग, पर परिक्रमा करती है जिसे परिक्रमण या वार्षिक गति कहते हैं।, पृथ्वी को सूर्य की एक परिक्रमा पूरा करने में 365 दिन 6 घंटे का, समय लगता है।, भूमध्य रेखा के उत्तर में 66°(66°30') अक्षांश को आर्कटिक, वृत और दक्षिण में 66-°(66°30') अक्षांश को अंटार्कटिक वृत, कहते हैं।, > कर्क रेखा निम्न देशों से होकर गुजरती है : ताईवान, चीन, म्यांमार,, बांग्लादेश, भारत, ओमान, संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब,, मिस्र, लीबिया, नाइजर, अल्जीरिया, माली, मारितानिया, प. सहारा,, बहामास एवं मैक्सिको ।, मकर रेखा निम्न देशों से होकर गुजरती है : चिली, अर्जेन्टीना,, पराग्वे, ब्राजील, नामीबिया, बोत्सवाना, दक्षिण अफ्रीका, मोजाम्बिक, मेडागास्कर, ऑस्ट्रेलिया।, 2., नक्षत्र दिवस (Sideral day): एक मध्याह्न रेखा के ऊपर किसी निश्चित, नक्षत्र के उत्तरोत्तर दो बार गुजरने के बीच की अवधि को नक्षत्र दिवस, कहते हैं। यह 23 घंटे व 56 मिनट की अवधि का होता है।, > विषुवत रेखा निम्न देशों से होकर गुजरती है : इक्वाडोर, कोलंबिया,, ब्राजील गैबॉन, कांगो गणराज्य, लोकतांत्रिक कांगो गणराज्य,, युगांडा, केन्या, सोमालिया, मालदीव इंडोनेशिया तथा किरिबाती।